कौशाम्बी :- मुख्य चिकित्सा अधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का कार्यालय हमेशा सुर्खियों में रहा है इन कार्यालयों मे फर्जीवाड़ा करने वाले नटवरलाल की फौज शामिल है जिससे स्वास्थ्य बिभाग का कार्यालय और उनके अधिकारी हमेशा सुर्खियों में रहता है।
आला अधिकारियों के फर्जी पत्र के सहारे स्वास्थ्य विभाग में सरकार के करोड़ों के बजट पर जहां डाका डाला जा रहा है वही तमाम आरोपित मामलों में अधिकारियों के फर्जी पत्र के सहारे बड़े बड़े गंभीर अपराधों के गुनाहगारों को क्लीनचिट देकर धना दोहन किया जा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग में हेरा फेरी के नटवरलाल की फौज लगी है इन्हीं नटवरलाल की फौज में शामिल एक पड़ोसी जनपद का निवासी बताया जाता है जो इन दिनों मुख्य चिकित्सा अधिकारी का खासम खास होकर स्वास्थ्य महकमे में रोज नए-नए गुल खिला रहा है।
तमाम शिकायतों के बावजूद विभाग के गुनाहों से उस समय पर्दा उठा जब उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान के पुलिस अधीक्षक द्वारा जारी पत्र को खुद विभाग के पुलिस अधीक्षक ने फर्जी करार दिया है और मुकदमा दर्ज कराए जाने का निर्देश दिया इस पत्र के फर्जी करार दिए जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है।
और अपने गुनाहों पर पर्दा डालने के लिए अब वह बचाव के तरीके खोजते देखे जाते है फर्जी पत्र की फर्जीवाड़े के मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की हरकत के मामले में यदि शासन ने सूक्ष्म जांच कराई।
तो तमाम फर्जीवाड़े के मामलों की सूची से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की हरकत भी सामने आएगी स्वास्थ्य बिभाग के तमाम गुनाहों की चर्चा के बाद भी सांसद विधायक मंत्री और आला अधिकारी भी मामलों को गंभीरता से नहीं लेते हैं।जिससे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी का गोरखधंधा बेखौफ तरीके से विभाग की फाइलों में चल रहा है।
जिले का स्वास्थ विभाग हमेशा चर्चाओं में रहा है विभाग के कर्मचारी रोज नए-नए गुल खिलाते हैं जिसके चलते आम जनता के बीच विभाग की छवि धूमिल कर रहे हैं कुछ दिनों पूर्व विभाग में एक अग्निकांड की घटना के बाद सारे सरकारी महतवपूर्ण अभिलेख जलकर खाक हो गए है।
जिनके बाद करोड़ो के भ्रस्टाचार के राज दफन हो गए और गुनाहगार मौज कर रहे है जिसका आज तक खुलासा नहीं हुआ फिर एक नया मामला सामने आया है स्वास्थ्य बिभाग के पांच कर्मचारियों की नियुक्ति को फर्जी करार दिया गया है।
और पुलिस अधीक्षक उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान प्रयागराज द्वारा एक पत्र स्वास्थ्य बिभाग को मिला है जिसकी जांच की मांग पर 27 जुलाई 2020 को यस पी ने इसे फर्जी करार दिया मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने पुलिस अधीक्षक उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान प्रयागराज को पत्र भेजकर उनके द्वारा जारी 26मई 2020 के पत्र की सूचना की सच्चाई से अवगत कराने को कहा था।
जिस पर 13 अगस्त 2020 को पुलिस अधीक्षक उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान प्रयागराज ने पत्र जारी कर यह कहा है कि विभाग ने इस पत्र को जारी नहीं किया है यह पत्र फर्जी है जिस पर उन्होंने पत्र जारी कर मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देशित किया है कि वह इस फर्जी पत्र के आधार पर पुलिस कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराए।
पत्र की सच्चाई जानने के बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने मंझनपुर कोतवाली में एफ आई आर दर्ज करा दिया है स्वास्थ्य विभाग के उस नटवरलाल को अब पुलिस तलाश कर रही है जिसने पुलिस अधीक्षक उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान के नाम से फर्जी पत्र जारी कर 5 कर्मचारियों की नियुक्ति को फर्जी करार दिया गया था।
विभागीय सूत्रों की मानें तो पुलिस अधीक्षक के नाम का फर्जी पत्र जारी करने वाला स्वास्थ्य विभाग का ही कर्मचारी है यह नटवरलाल पड़ोसी जनपद का रहने वाला बताया जाता है और स्वास्थ्य विभाग में ही संविदा कर्मी के पद पर नियुक्त है जिसने बड़े अधिकारियों के नाम से कूट रचित फर्जी पत्र जारी करने का दुस्साहस किया है।
इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों की भूमिका सवालों के घेरे में है यदि पुलिस ने फर्जी पत्र जारी करने के मामले में सूक्ष्म जांच कराई तो विभाग के जिम्मेदारों के कारनामे उजागर हो सकते हैं और जिम्मेदारों के गिरहबान तक कानून के हाथ पहुँच सकते हैं।
रिपोर्ट श्रीकान्त यादव