डॉ. शाहीन की लेडी विंग का खुलासा: 40 दिन तक जिहादी कार्यक्रमों में ले गईं 9 किशोरियां, नेपाल के रास्ते पाकिस्तान भेजने की तैयारी

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Highlights
  • डॉ. शाहीन की लेडी विंग की 9 किशोरियों से NIA–ATS की पूछताछ
  • 40 दिन तक यूपी के कई जिलों में घुमाया गया
  • धार्मिक प्रचार के नाम पर जिहादी कार्यक्रमों में ले जाया जाता था
  • नेपाल के रास्ते पाकिस्तान ट्रेनिंग के लिए भेजने की योजना
  • किशोरियां खतरा भांपकर भाग निकलीं और अंडरग्राउंड रहीं
  • अधिकांश गरीब परिवारों की बेटियां, नौकरी के लालच में फंसीं
  • कानपुर मे NIA,ATS और IB ने जांच तेज की
  • गम्मू खां हाते में कश्मीरी युवाओं से भी पूछताछ

कानपुर। दिल्ली धमाके में आरोपी डॉ. शाहीन की लेडी विंग से जुड़ी नौ किशोरियों ने सुरक्षा एजेंसियों के सामने बड़ा खुलासा किया है। पूछताछ में उन्होंने बताया कि वे करीब 40 दिन तक डॉ. शाहीन के साथ रहीं, इस दौरान उन्हें मेरठ, सहारनपुर, बहराइच, संभल सहित कई जिलों में ले जाया गया। धार्मिक सभाओं के नाम पर उन्हें ऐसे कार्यक्रमों में शामिल कराया गया, जिनमें जिहादी विचारधारा को प्रचारित किया जाता था।

किशोरियों का कहना है कि उन्हें नेपाल के रास्ते पाकिस्तान भेजकर ट्रेनिंग कराने की तैयारी थी, लेकिन संदेह होने पर वे मौके से भाग निकलीं और कई दिनों तक अंडरग्राउंड रहीं। अब सुरक्षा एजेंसियां पूरे नेटवर्क की गतिविधियों की गहराई से जांच कर रही हैं।

सूत्रों के अनुसार, NIA और ATS की टीम दिल्ली से कानपुर पहुंच चुकी है और शहर के एक पॉश इलाके में अस्थायी कैंप बनाकर जांच जारी है। एजेंसियों ने शाहीन की महिला विंग में शामिल सभी किशोरियों से विस्तृत पूछताछ की है।

किशोरियों का आरोप — धार्मिक प्रचार के बहाने जिहादी गतिविधियों में शामिल किया गया

किशोरियों ने बताया कि वह गरीब परिवार से हैं और नौकरी के लालच में मार्च माह में डॉ. शाहीन के साथ दिल्ली गईं। उन्हें 15–15 हजार रुपये वेतन, रहने-खाने की सुविधा और धार्मिक प्रचार का काम देने का झांसा दिया गया। कुरआन का ज्ञान होने की वजह से उन्हें प्रचार के लिए तैयार रहने को कहा गया।

उन्हें सफेद क्रेटा कार से यूपी के कई जिलों में ले जाया गया। शुरुआत में सब कुछ सामान्य लगा लेकिन कुछ सभाओं में देश-विरोधी बयान, जिहादी नारेबाजी और संदिग्ध गतिविधियों ने उनका संदेह बढ़ा दिया।

एक किशोरी ने बताया कि एक दिन उन्हें गोरखपुर और बहराइच के रास्ते नेपाल जाने को कहा गया, जहां से उन्हें आगे पाकिस्तान ट्रेनिंग के लिए भेजा जाना था। खतरा समझते ही सभी भाग निकलीं—चार लड़कियां लखनऊ होकर कानपुर पहुंचीं, जबकि पांच नेपाल के जंगलों से होकर वापस लौटीं।

गरीबी और नौकरी का लालच बना निशाना

किशोरियों ने बताया कि अधिकांश के परिवार आर्थिक कठिनाइयों से जूझ रहे थे। किसी के पिता नहीं थे, तो किसी पर पूरे घर की जिम्मेदारी थी। नौकरी के नाम पर और धार्मिक प्रचार के बहाने उनकी भर्ती की गई। लखनऊ के एक होटल में पहली बार मुलाकात हुई, जहां उन्हें डॉ. परवेज और बाद में डॉ. शाहीन से मिलवाया गया।

शाहीन ने उन्हें बताया कि धार्मिक प्रचार से “कौम का भविष्य बदला जा सकता है”। पर जब उनके इरादे समझ में आए तो भागना ही सही लगा।

लेडी विंग को स्लीपर सेल की ट्रेनिंग देने की तैयारी

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, इन किशोरियों को स्लीपर सेल बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही थी। धार्मिक सभाओं के नाम पर जिहादी कार्यक्रमों में शामिल कराया जाता था। उन्हें यह भी बताया गया था कि “कौम के नाम पर मरने वाला शहीद कहलाता है।”

पाकिस्तान भेजने का समय नजदीक था, लेकिन उससे पहले ही सभी बचकर भाग निकलीं।

गम्मू खां हाते में ATS की दबिश

कानपुर में शुक्रवार को ATS ने कर्नलगंज के गम्मू खां हाते में दबिश दी। वहां रहने वाले कश्मीरी मूल के युवाओं और कारोबारियों से पूछताछ की गई। उनके पहचान पत्र, आधार कार्ड और पते सत्यापित किए गए। ठंड के मौसम में ऊनी कपड़े बेचने के लिए बड़ी संख्या में कश्मीरी युवक शहर में आते हैं, जिनमें से कई से महत्वपूर्ण जानकारी जुटाई गई है।

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