कोरोना कर्फ्यू में ढील देने के अलावा अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखकर बॉर्डर को खोलना भी आवश्यक : व्यापार मंडल

कोरोना कर्फ्यू में ढील देने के अलावा अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखकर बॉर्डर को खोलना भी आवश्यक : व्यापार मंडल

रूपईडीहा(बहराइच)। भारत-नेपाल सीमा सील रहने से इंडो नेपाल भारतीय बाजार खुलने के बाद भी सन्नाटा पसरा हुआ है। रूपईडीहा के बाजारों में चहल पहल नहीं है। कोरोना ने बाजार की रौनक छीन ली है। देशी-विदेशी ग्राहकों से गुलजार रहनेवाला यह कस्बा बीते कई साल से विचित्र स्थिति का सामना कर रहा है। पहले वाहनों की

रूपईडीहा(बहराइच)। भारत-नेपाल सीमा सील रहने से इंडो नेपाल भारतीय बाजार खुलने के बाद भी सन्नाटा पसरा हुआ है। रूपईडीहा के बाजारों में चहल पहल नहीं है। कोरोना ने बाजार की रौनक छीन ली है। देशी-विदेशी ग्राहकों से गुलजार रहनेवाला यह कस्बा बीते कई साल से विचित्र स्थिति का सामना कर रहा है। पहले वाहनों की लंबी कतार आये दिन जाम की समस्या और बाजारों की रौनक देखते ही बनती थी। कुछ इसी तरह की स्थिति नेपाल की थी। भारतीय पर्यटकों से अटा पड़ा रहता था। फिलहाल सन्नाटा है।

भारतीय प्रतिष्ठान खुल गए हैं लेकिन खरीदार नदारद है।  कोरोना वायरस को लेकर एहतियात के तौर पर इंडो नेपाल बार्डर सील कर दिया गया था। जिसे दोनों देशों के व्यापारियों पर लॉक डाउन को लेकर काफी असर पड़ा है। हम ये कहे कि व्यापार ठप हो गया तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल रुपईडीहा इकाई के महामंत्री संजय वर्मा ने बताया कि बार्डर सील होने से शत प्रतिशत व्यापार प्रभावित हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक केवल खुदरा व्यापार से दोनों देशों को कई करोड़ से अधिक राजस्व की क्षति होने की संभावना है। कोरोना संक्रमण का समय है। कोरोना कर्फ्यू में ढील देने के अलावा अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखकर बॉर्डर को खोलना भी आवश्यक है। जिसे छोटे उद्योग धंधे वाले व्यापारियों का रोजगार पटरी पर आ सके।

रिपोर्ट रईस

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