
सुहाग बड़ा न सैया सबसे बड़ा रुपैया , पति के जिंदा रहते 21 महिलाएं हो गई विधवा
उत्तर प्रदेश : आपने एक कहावत जरूर सुनी होगी की बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया। अभी तक तो इस कहावत में पिता और भाई का ही नाम लिया गया था लेकिन आज कुछ ऐसा मामला सामने आया है जिसने इस कहावत को थोड़ा सा पलट दिया है या यूं कहो कि ऐसे बोल
उत्तर प्रदेश : आपने एक कहावत जरूर सुनी होगी की बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया। अभी तक तो इस कहावत में पिता और भाई का ही नाम लिया गया था लेकिन आज कुछ ऐसा मामला सामने आया है जिसने इस कहावत को थोड़ा सा पलट दिया है या यूं कहो कि ऐसे बोल सकते हैं कि “सुहाग बड़ा न सैया सबसे बड़ा रुपैया” यह मामला उत्तर प्रदेश सरकार की एक लाभकारी योजना के तहत सामने आया है। भ्रष्ट अफसरों और दलालों के गठजोड़ ने लाभकारी योजना कल आप दिलाने के लिए कुछ ऐसा कर दिया जो आज चर्चा का विषय बना हुआ है।
इस बार अफसरों और दलालों ने राष्ट्रीय परिवार लाभ योजना से सरकारी धन में चपत लगाई है दलालों और अफसरों की मिलीभगत ने मात्र ₹30000 के लिए पति के जिंदा होते हुए भी 21 महिलाओं को ही विधवा बना दिया। दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना की शुरुआत की, योजना में उन गरीब रेखा के नीचे रहने वाले परिवारों के कमाऊ मुखिया की अगर 60 साल से पहले अचानक मौत हो जाती है तो सरकार द्वारा पत्नी को योजना का लाभ दिया जाता है। सरकार मृत व्यक्ति की पत्नी को 30 हजार रुपए की सहायता राशि देती है। भ्रष्ट अफसरों और दलालों ने गरीब विधवा महिलाओं को मिलने वाली इस मदद को हजम करने का भी नया तरीका दें निकाला आपको बता दें कि चित्रकूट बलरामपुर गोरखपुर कानपुर में इस योजना में घोटाले की शिकायतें पहले ही आ चुकी थी। ताजा मामला लखनऊ के 2 इलाकों से सामने आया है जहां 21 ऐसी फर्जी लाभार्थी मिली हैं। जिनके पति जीवित हैं और उन्होंने इस योजना का लाभ ले लिया है उनके खाते में सरकार द्वारा इस योजना के तहत 30000 की रकम जमा करवा दी गई।
महिलाओं को मिला आधा-आधा खा गए दलाल
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार आपको बता दें कि लखनऊ के सरोजनी नगर तहसील के बंथरा और चंद्रावल गांव में साल 2019-2020 एवं 2020-2021 में कुल 88 लोगों को इस योजना का लाभ दिया गया था। शुरुआती जांच में पता चला है कि लाभ पाने वाली 21 महिलाएं ऐसी हैं जिनके पति जीवित हैं और फर्जी ढंग से उनको भुगतान करा दिया गया। ज्ञात हुआ है कि इस फर्जी भुगतान में दलाल और भ्रष्ट अफसरों का हिस्सा भी तय था लाभार्थी को सिर्फ 10 से ₹15 हजार ही दिए जाते थे बाकी दलाल और अफसरों में बांट लिए जाते थे।
हालांकि आपको बता दिया है कोई पहला मामला नहीं है पहले भी गोरखपुर बलरामपुर चित्रकूट कानपुर समेत कई जिलों में ऐसी गड़बड़ी सामने आई थी जहां पर जिला प्रशासन ने विभागीय कर्मचारियों को सस्पेंड भी किया था। लखनऊ में इस मामले के सामने आने के बाद प्रमुख सचिव समाज कल्याण रविंद्र नायक का कहना है कि इस मामले में जांच कराई जाएगी एवं जांच में जो तथ्य निकलकर सामने आएंगे उस पर कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी।