
रायबरेली जिले में सड़कों की हालत पर उच्च न्यायालय सख्त
लखनऊ : इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने रायबरेली जिले में सड़कों के खस्ता हाल मामले में सख्त रुख अपनाया है। सुनवाई के समय लखनऊ- रायबरेली – प्रयागराज फोरलेन हाईवे बनाने के मामले में रायबरेली से प्रयागराज मय डिवाईडर फोरलेन सड़क पूरी होने संबंधी जानकारी एनएचएआई के वकील नहीं दे सके। इस पर अदालत
लखनऊ : इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने रायबरेली जिले में सड़कों के खस्ता हाल मामले में सख्त रुख अपनाया है। सुनवाई के समय लखनऊ- रायबरेली – प्रयागराज फोरलेन हाईवे बनाने के मामले में रायबरेली से प्रयागराज मय डिवाईडर फोरलेन सड़क पूरी होने संबंधी जानकारी एनएचएआई के वकील नहीं दे सके। इस पर अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी पूर्वी मंडल को रिकार्ड के साथ 16 अगस्त को तलब किया है।
पहले, 30 जुलाई को कोर्ट ने निर्माण के जिम्मेदार केंद्र सरकार व राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के वकीलों को केंद्र व एनएचएआई से यह निर्देश( जानकारी) लेने को कहा था कि रायबरेली से प्रयागराज मय डिवाईडर फोरलेन सड़क कब तक पूरी होगी। साथ ही यह भी पूछा था कि सड़क का काम पूरा होने में काफी अधिक समय क्यों लिया जा रहा है। कोर्ट ने अपने इस पहले के आदेश के संबंध में अगली सुनवाई तक एचएआई के चेयरमैन को हलफ़नामा दाखिल करने का आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी और न्यायामूर्ति दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश लखनऊ- रायबरेली – प्रयागराज हाईवे बनाने के मामले में वर्ष 2013 से चल रही जनहित याचिका पर दिया। कोर्ट ने उस समय मामले का स्वयं संज्ञान लेकर यह पीआईएल कायम कराई थी। पहले, कोर्ट ने मामले में कई आदेश दिए थे, तब कहीं जाकर लखनऊ से रायबरेली तक सड़क का काम हुआ। अभी रायबरेली से प्रयागराज तक फोरलेन सड़क का काम पूरा नहीं हुआ है।
अदालत ने सुनवाई के समय पेश हुए केंद्र व एनएचएआई के अधिवक्ताओं को उक्त जानकारी लेने को कहा था। साथ ही इस याचिका को एक अन्य संबंधित पीआईएल के साथ सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 16 अगस्त को नियत की है।
वार्ता