
देश में बढ़ते जा रहे हैं हेट स्पीच के मुद्दे, जानिए कैसे लगायी जा सकती है लगाम
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को टीवी चैनलों के हेट स्पीच मुद्दे को लेकर चिंता जताई है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम जोसेफ और ऋषिकेश का कहना है कि अभद्र भाषा का प्रयोग उचित नहीं है, लेकिन फिर भी टीवी वाले अभद्र भाषा का उपयोग करते हैं। जस्टिस जोसेफ का सख्त कहना है कि यदि कोई भी ऐसा भड़काऊ शब्द या अपशब्द निकलता है तो टीवी के एंकर का फर्ज बनता है, कि वह उसे तुरंत रोक दे।
सुप्रीम कोर्ट टीवी पर नफरत को रोकने के लिए प्रयासों में लगातार बना हुआ है। जनवरी 2021 में तत्कालीन मुख्या न्यायाधीश एस ए बोबड़े ने कहा था की टीवी की नफरत को रोकना क़ानून और ब्यवस्था के लिए उतना आवश्यक है जितना की पुलिसकर्मियों को लाठी से लैस करना और हिंसा और दंगों को रोकने के लिए बैरिकेड्स लगाना है। आशुतोष कहते है की एंकर का काम है कि अलग - अलग तरीके के विचारों के फर्क का सम्मान करना चाहिए। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने सही पत्रकारिता और सच्चाई पेश करने के बारे में बताया है। इस बारे में एक दार्शनिक ने कहा था की यदि आप उन मेहमानों को आमंत्रित करने का निर्णय देते हैं, जो ध्रुवीकरण कर रहे हैं। जो झूठी खबरे फैलते हैं, जो गला फाड़ कर चिल्लाते हैं, तो आपके चैनलों की विश्वशनीयता कम हो जाती है।