
चंद्रग्रहण : 12 घंटे पहले लगेगा सूतककाल, जानें राशियों पर क्या पड़ेगा प्रभाव
Chandra Grahan Rashifal 2022: दीपावली के दिन सूर्यग्रहण और 15 दिन के अंदर ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण की घटना घटित होने जा रही है। विज्ञान के अनुसार यह सिर्फ एक खगोलीय घटना है, जिसका पृथ्वी के जीवन से कोई लेना देना नहीं है, वहीं सनातन धर्म के अनुसार ग्रहण का सीधा असर मानव जीवन पर पड़ता है।
साल का आखिरी चंद्रग्रहण कार्तिक पूर्णिमा पर 8 नवंबर 2022 को पड़ने जा रहा है। यह ग्रहण लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि 15 दिन के भीतर यह दूसरा ग्रहण है। प्राचीन कथाओं में ऐसे ग्रहण को विनाशकारी माना गया है। कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के समय भी इसी प्रकार से 15 दिन के अंदर दो ग्रहण का योग बना था। इस ग्रहण को लेकर लोगों के मन में कई तरह की आशंकांए हैं। हर ग्रहण की तरह इस ग्रहण का भी सभी 12 राशियों में पर असर देखने को मिलेगा। आगे जानिए ज्योतिष के जानकारों के अनुसार आपकी राश पर इसका क्या प्रभाव होने वाला है।
चंद्रगहण का राशियों पर असर :
मेष राशि - हल्का नकारात्मक असर
वृष राशि - नया कार्य शुरू करने से बचें
मिथुन राशि- लाभदायक
कर्क राशि- आर्थिक लाभ की उम्मीद
सिंह राशि- साधारण
कन्या राशि- साधारण
तुला राशि- साधारण
वृश्चिक राशि- आर्थिक लाभ की उम्मीद
धनु राशि- लाभदायक
मकर राशि- हानिकारक
कुंभ राशि- लाभदायक
मीन राशि- साधारण
कहां-कहां दिखेगा चंद्रग्रहण ?
साल का आखिरी चंद्रग्रहण भारत समेत दक्षिणी/पूर्वी यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, पेसिफिक, अटलांटिक और हिंद महासागर में देखने को मिलेगा।
चंद्र ग्रहण का समय (Chandra Grahan 2022 Time in India):
साल का आखिरी ग्रहण कार्तिक पूर्णिमा, 8 नवंबर 2022 को पड़ेगा। चंद्र ग्रहण की शुरुआत यानी स्पर्शकाल शाम 5:35 बजे से शुरू होगा और ग्रहण का मध्य 6:19 बजे और मोक्ष शाम 7:26 बजे होगा। इस ग्रहण का सूतक काल ग्रहण से 12 घंटे पहले सुबह 5.53 बजे शुरू होगा और अगले दिन सुबह करीब 7 बजे तक चलेगा।
मंगलवार को सुबह से लगेगा सूतककाल :
ग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पहले और 12 घंटे बाद तक का समय सूतक काल माना जाता है। चूंकि साल 2022 का आखिरी चंद्रग्रहण मंगलवार को शाम साढ़े पांच बजे के करीब शुरू होगा ऐसे में मंगलवार की सुबह से ही सूतक काल लागू हो जाएगा। सूतक काल में किसी भी शुभ कार्य की मनाही होती है। वहीं ग्रहण से पहले ही मंदिरों में पट बंद हो जाते हैं और उग्रव यानी ग्रहण समाप्त होने के बाद ही पूजा स्थलों को पवित्र कर पूजा शुरू होती है।
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