
BIS Care ऐप में अपलोड करना होगा इनवाइस नंबर और उपभोक्ता का नाम, विरोध के आसार
ऐसे गिने चुने ही मौके आये है जब सरकार और स्वर्णकार खुले तौर पर एक दूसरे के सामने खड़े हो गये हो। लेकिन मोदी सरकार में यह तकरार खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। हॉलमार्क और यूआईडी के बाद सरकार BIS Care में ज्वैलर्स से और ज्यादा जानकारी लेने के बारे में विचार कर रही है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ग्राहकों को पूरी पारदर्शिता उपलब्ध करवाने के लिए BIS Care ऐप में अब विक्रेता की जीएसटी इनवाइस नंबर और उपभोक्ता का नाम भी उपलोड करने की अनिवार्यता लागू कर सकती है। पूरे मामले पर आॅल इंडिया ज्वैलर्स एंड गोल्डस्मिथ फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज अरोरा ने कहा कि सरकार अभी तक हॉलमार्किंग कानून को ही पूरी तरह लागू नहीं कर पाई है, न ही दूर दराज के क्षेत्रों में उपस्थित ज्वैलर्स के पास इतने संसाधन होते है कि वह आने वाले नये नियमों का पालन कर सके। अगर सरकार ऐसा कोई आदेश जारी करती है तो निश्चित ही व्यापारी इसका पुरजोर विरोध करेंगे।
क्या है BIS Care ऐप और HUID
केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार देश के 288 जिलों में सभी सुनारों को ग्राहकों को बेचे जाने वाले सोने की हॉलमार्किंग और HUID मार्किंग करवाना अनिवार्य होता है। बिना HUID के सामान बेचने पर भारी जुर्माने का भी प्रावधान है। BIS Care में किसी भी गहने का HUID नंबर डालने पर उसके विक्रेता और शुद्धता जैसी तमाम जानकारियाँ सामने आ जाती है।
इन पर HUID नहीं है अनिवार्य
- ऐसे ज्वैलर्स जो एक साल में 40 लाख रूपये से कम का कारोबार करते है, उन्हें HUID करवाना अनिवार्य नहीं है।
कुंदन, पोलकी और जडाऊ जैसी विशेष आभूषणों की श्रेणियों को इन अनिवार्यता के दूर रखा गया है।
2 ग्राम से कम वजन वाला कोई भी आभूषण
किसी भी प्रकार का बुलियन
41 दिनों के लिए हो चुकी है ऐतिहासिक हड़ताल
इससे पहले मोदी सरकार में ही 2 मार्च 2016 को एक्साइज ड्यूटी के विरोध में पूरे देश में ज्वैलर्स ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का आवाह्न किया था। इस दौरान 41 दिनों तक पूरे में ज्वैलरी की दुकानें बंद रहीं है। लेकिन बाद में सरकार के सामने ज्वैलर्स को ही समझौता करना पड़ा था।
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