पहलवान बने प्यादे तो हो गए चित

पहलवान बने प्यादे तो हो गए चित

रिंग के अंदर सामने वाले पहलवान को चारो खाने चित करने वाले पहलवान भारतीय राजनीति में कब प्यादे बन कर खुद चारों खाने चित हो गये, ये बात तो शायद उनको भी नहीं पता चल पायी होगी। 

इस पर लिखना तो पहले चाहता था..लेकिन कुछ वजहों से नहीं लिखा..लेकिन ये एक क्लासिक केस है कि ये बताने के लिए राजनीति कितने स्तर पर की जाती है..खिलाड़ी भी किस तरह जाने या अंजाने इस खेल में मोहरा बन जाते हैं...पहलवानों ने भी जंतर-मंतर पर जो धरना दिया...उसका खेल से कोई लेना-देना नहीं है...जो पहलवान धरने पर बैठे थे..वो अपने स्पोर्टिंग करियर के ढलान पर हैं...उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं है..इन खिलाड़ियों ने रेसलिंग फेडरेशन के चीफ बृजभूषण शरण सिंह पर महिला खिलाड़ियों के शारीरिक शोषण का भी आरोप लगाया..लेकिन एक भी सबूत सामने नहीं रखा...ये खिलाड़ी 3 दिन तक धरने पर बैठे...रोज कहते रहे कि शारीरिक शोषण के मामले में दिल्ली पुलिस में FIR करवाएंगे..लेकिन नहीं करवाई...क्यों नहीं करवाई ? अच्छा एक और मजेदार बात ये हुई कि इन खिलाड़ियों ने कहा कि अगर बृजभूषण शरण सिंह इस्तीफा दे देते हैं..रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया को भंग कर दिया जाता है तो वो कुछ नहीं करेंगे..अपना धरना खत्म कर देंगे..क्यों भाई ? अगर किसी महिला का शारीरिक शोषण हुआ है तो उसे इंसाफ दिलवाओ ना...ये क्या बात हुई कि इस्तीफा दे दो..इसका मतलब साफ है कि आपको इंसाफ से नहीं इस्तीफे से मतलब है...खेल के नाम पर कुछ और खेल हो रहा था...

अब सवाल ये है कि खेल के नाम पर क्या खेल हो रहा था...इस खेल को कौन खेल रहा था और खिलाड़ियों को मोहरा किसने बनाया...बृजभूषण शरण सिंह ने एक उद्योगपति की तरफ इशारा तो किया..लेकिन नाम नहीं लिया...कहा गया कि ये उद्योगपति नवीन जिंदल हैं..हरियाणा के हैं..कांग्रेस के नेता हैं..उद्योगपति हैं और खेल में इंट्रेस्ट भी लेते हैं...उन्होंने खिलाड़ियों को कुश्ती में हरियाणा के घटते प्रभुत्व को लेकर भड़काया..खिलाड़ी भी नियम कायदों और क्वालीफाइंग राउंड खेलने से परेशान थे..लेकिन नवीन जिंदल इस खेल के छोटे खिलाड़ी थे...असली खिलाड़ी एक बाबा थे..वो भी हरियाणा के हैं...उद्योगपति भी हैं...नाम है स्वामी रामदेव...अब सवाल ये है कि स्वामी रामदेव ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा क्यों खोला...तो इसका जवाब ये है कि बृजभूषण शरण सिंह भी बाहुबली हैं..मुंहफट हैं..ज़मीन से जुड़े नेता हैं..सेंट्रल यूपी के चार-पांच जिलों में उनका सियासी प्रभाव है...पार्टी नहीं बल्कि अपने दम पर जीतते हैं..जब समाजवादी पार्टी में थे तब भी जीते..अब बीजेपी से सांसद हैं...बीजेपी से सांसद होने के बावजूद अगर उनके खिलाफ मीडिया में इतना माहौल बना तो इसकी वजह य़े थी कि स्वामी रामदेव इसके पीछे थे...बीजेपी हाईकमान भी बृजभूषण शरण सिंह को Cut to Size करना चाहता था...यूपी में एक ठाकुर मुख्यमंत्री हैं...योगी आदित्यनाथ भी बृजभूषण शरण सिंह को खास पसंद नहीं करते...एक म्यान में 2 ठाकुर नहीं रह सकते...लेकिन बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ खिलाड़ियों की बगावत के पीछे असली खिलाड़ी स्वामी रामदेव थे..

अब सवाल ये है कि स्वामी रामदेव को बृजभूषण शरण सिंह से क्या दिक्कत थी..तो इसकी वजह ये थी कि बृजभूषण शरण सिंह ने लाला रामदेव के पतंजलि के घी को नकली कह दिया था..बृजभूषण शरण सिंह ने खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए कहा था कि असली घी खाना है तो घर में गाय-भैंस पालो..वर्ना रामदेव का नकली घी खाना पड़ेगा..स्वामी रामदेव के पार्टनर आचार्य बालकृष्ण ने जब बृजभूषण शरण सिंह को फोन तक आपत्ति जताई तो बृजभूषण शरण सिंह ने कह दिय़ा कि उनके इलाके में रामदेव नाम का एक बनिया है और वो उसके घी की बात कर रहे थे...लेकिन सब जानते थे कि ये पतंजलि के घी को लेकर ही बात की गई थी..इतना ही नहीं बृजभूषण शरण सिंह ने य़े भी कहा कि स्वामी रामदेव ने गोंडा के रहने वाले महर्षि पतंजलि के नाम पर अरबों का बिजनेस खड़ा कर दिया लेकिन एक बार भी गोंडा नहीं आए..महर्षि पतंजलि की धरती के लिए कुछ नहीं किया...ज़ाहिर है स्वामी रामदेव को नाराज़ होना था..वो नाराज़ हुए और बृजभूषण शरण सिंह को सबक सिखाने की ठानी...खिलाड़ियों को मोहरा बनाया...खिलाड़ियों ने आरोपों की झड़ी तो लगा दी लेकिन कोई सबूत नहीं दे सके...

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फिर वही हुआ जो होना था...सरकार ने झुनझुना थमा दिया..कहा कि बृजभूषण शरण सिंह फिलहाल रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के काम से अलग रहेंगे..खिलाड़ी भी अपना धरना खत्म करने के लिए इस्केप रूट ढूंढ रहे थे..उन्होंने अपना धरना खत्म कर दिया...सरकार से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला...हालत ये हो गई कि सरकार ने जो नई कमेटी बनाई है...उसमें खिलाड़ियों को शामिल करना तो दूर धरना देने वालों से पूछा तक नहीं...क्यों नहीं पूछा ? क्योंकि खिलाड़ी पहले से ही Weak Pitch पर थे...ऐसा कोई मुद्दा था ही नहीं कि खिलाड़ियों को खुलेआम बगावत करनी पड़े...वो तो महज मोहरे थे...तो सरकार ने उतना ही काम किया जितना स्वामी रामदेव का Ego संतुष्ट करने के लिए जरूरी थी..स्वामी रामदेव ने बृजभूषण शरण सिंह तक ये मैसेज पहुंचाने में कामयाब रहे कि पतंजलि से पंगा मत लेना...वो काम हो गया...बृजभूषण शरण सिंह कुछ दिन शांत रहेंगे...योगी आदित्यनाथ का भी काम हो गया...कुछ महीने बाद सब मामला रफा-दफा हो जाएगा...लेकिन दुख की बात है कि एशियन, कॉमनवेल्थ और ओलम्पिक में मेडल जीत चुके खिलाड़ी मोहरे बनकर ढेर हो गए...

 

✍🏼 DEEPAK JOSHI

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