
बंटवारे की नीति अपना रही मोदी सरकार !
बेंगलूरू : कृषि कानून और नागरिक संशोधन कानून के विरोध के नाम पर राष्ट्रविरोधी ताकतों के साथ खड़े होने वाली कांग्रेस ने अब सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर बंटवारे की राजनीति करने का आरोप लगा रही है। कांग्रेेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को मोदी सरकार पर हमला बोलते
बेंगलूरू : कृषि कानून और नागरिक संशोधन कानून के विरोध के नाम पर राष्ट्रविरोधी ताकतों के साथ खड़े होने वाली कांग्रेस ने अब सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर बंटवारे की राजनीति करने का आरोप लगा रही है। कांग्रेेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार फूट डालो और शासन करो की नीति अपनाकर न केवल लोगों को आपस में बांट रही है बल्कि वह ऐसा कर राष्ट्र का विभाजन कर रही है।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने यहां पत्रकाराें से बातचीत करते हुए कहा कि इससे पहले ब्रिटिश शासन फूट डालो और राज करो की नीति अपनाकर देश में राज करते थे लेकिन आज सरकार खुद ही यह नीति अपना रही है। भाजपा सरकार पूरे समाज में लोगों को आपस में बांटकर ही सत्ता में आई है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि हमारे सामाजिक जीवन में अब एकता और एकजुटता जैसी चीजें नहीं रह गयी हैं। जो कोई भी लोगों को आपस में बांट रहा है वास्तव में वह देश का विभाजन करने का काम कर रहा है।
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मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर लोगों को आपस में बांटने का आरोप लगाते हुए कहा, “ पहले ये हमारे समाज के लोगों को धर्म, जाति, उपजाति और भाषा के आधार पर बांटते हैं और अब देश की आजादी के लिए लड़ने वाले नेताओं को बांटकर समाज में विद्वेष फैला रहे हैं।”
संविधान निर्माता डॉ भीम राव अम्बेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर अपने संदेश में कांग्रेस नेता ने कहा, “ एक ओर प्रधानमंत्री कहते हैं कि उनकी सरकार की एकमात्र पुस्तक है-भारत का संविधान वहीं दूसरी ओर उनका संगठन कहता है कि उसे बाबा साहेब का संविधान नहीं चाहिए।”
खड़गे ने कहा कि कानून धर्म, जाति, उप-जाति के आधार पर बिना कोई भेदभाव किए बनाए जाते हैं लेकिन अब ऐसे कानून बनाए जा रहे हैं जो समाज के लोगों को विभाजित करे। सरकार राष्ट्रीय और आर्थिक विकास के बारे में बात करती है लेकिन कई सिद्धांतों से समझौता कर कानून बनाए जा रहे हैं। सरकार को इस बात की चिंता नहीं है कि इससे दलितों और वंचित तबकों को नुकसान होगा।
वार्ता