
किसान आंदोलन: क्या है परदे के पीछे की राजनीति
केंद्र सरकार द्वारा लागू किया गया कृषि सुधार कानून किसानों के विरोध के साथ ही अब राजनीतिक रंग भी ले चुका है | हालाँकि किसी भी बिल या अध्यादेश को पूरी तरह सफल या विफल तत्काल कह पाना संभव नहीं होता, साथ ही कोई भी कानून हर तरह से सम्बंधित वर्ग के पक्ष में होगा
केंद्र सरकार द्वारा लागू किया गया कृषि सुधार कानून किसानों के विरोध के साथ ही अब राजनीतिक रंग भी ले चुका है | हालाँकि किसी भी बिल या अध्यादेश को पूरी तरह सफल या विफल तत्काल कह पाना संभव नहीं होता, साथ ही कोई भी कानून हर तरह से सम्बंधित वर्ग के पक्ष में होगा यह भी संभव नहीं होता | इस कानून से भी किसानों को आपत्तियां हैं, और संवैधानिक तरीके से अपना विरोध जाताना उनका अपना हक़ भी है |
मुद्दा किसानों के आंदोलन को राजनैतिक रंग देने का भी है, सिर्फ किसानों का आंदोलन ही नहीं, आम आदमी से सम्बंधित कोई भी आंदोलन उठा लिया जाय,असली जरूरतमंद पीछे हो जाते हैं, और उस पर अपनी सियासी रोटियां सेकने वाले आगे आ जाते हैं | नए कृषि कानून का आज सबसे ज्यादा विरोध पंजाब सरकार और पंजाब के किसानों द्वारा किया जा रहा है, जबकि भारत सरकार के एक दस्तावेज (NLMC) के अनुसार पंजाब के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी खुद किसानों से सम्बंधित मुद्दे पर वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये 26 अगस्त को आयोजित हुई बैठक का हिस्सा थे |
आंदोलन के कुछ लोग जिस तरह से ये कहते नज़र आ रहे हैं कि जब इंदिरा ठोंक दी गईं, तो मोदी क्या है? या जींद की एक पंचायत का एलान कि दिल्ली का राशन पानी बंद कर दिया जायेगा, बेहद आपत्तिजनक है | हालाँकि सरकारों को भी इस तरह के विधेयक/बिल लाने से पहले सम्बंधित पक्षों को अपनी बात रखने का मौका देना चाहिए | साथ ही जब लोकतंत्र का मंदिर संसद मौजूद है तो सरकारों को OUT OF THE BOX जाकर चीजे लाने से बचना चाहिए (यदि उनकी तत्काल आवश्यकता न हो तो) |
किसान आंदोलन से जुड़े ऐसे ही तमाम मुद्दों पर हमने सवाल उठाये और ओमेंद्र भारत से इस बिल को गहनता से समझने का प्रयास किया है | NewsKranti से बातचीत में ओमेंद्र भारत ने बिल के तमाम पहलू हमारे सामने रखे | पेश है कृषि सुधार कानून पर समाजसेवी व शिक्षक ओमेंद्र भारत से पूरी बातचीत-