जसवंत सिंह: मेजर से मंत्री तक का लंबा सफर
रविवार सुबह 6:55 को पूर्व कैबिनेट मंत्री, मेजर जसवंत सिंह (सेवानिवृत्त) का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उन्हें 25 जून को सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सूत्रों के मुताबिक उनका मल्टी ऑर्गन डिसफंक्शन सिंड्रोम के साथ सेप्सिस का इलाज किया जा रहा था। उनका इसी दौरान
रविवार सुबह 6:55 को पूर्व कैबिनेट मंत्री, मेजर जसवंत सिंह (सेवानिवृत्त) का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उन्हें 25 जून को सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सूत्रों के मुताबिक उनका मल्टी ऑर्गन डिसफंक्शन सिंड्रोम के साथ सेप्सिस का इलाज किया जा रहा था। उनका इसी दौरान कोविड टेस्ट भी हुआ था जिसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई थी।
पूर्व मेजर और केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह का शुरुआती जीवन
3 जनवरी , 1938 को बाड़मेर ज़िले के जसोल गाँव में जसवंत सिंह का जन्म हुआ। उनके पिता जसोल के ठाकुर सरदार सिंह राठौर थे और माता कुंवर बाईसा थीं। उनके दो बेटे हैं। उनके बड़े बेटे, मानवेंद्र सिंह, बाड़मेर से पूर्व सांसद भी रहे हैं।
जसवंत सिंह की पढ़ाई अजमेर के मशहूर मेयो कॉलेज में हुई थी। फिर उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में प्रशिक्षण किया।
पूर्व मेजर 1957 से 1966 तक भारतीय सेना के रूप में सेवा की। उन्होंने 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध और का चीन – भारतीय युद्ध भी लड़े थे।
मेजर से राजनीति तक का सफर
जसवंत सिंह एक ऐसे शख्सियत थे जिन्होंने देश की सेवा सेना के रूप में करने के बाद, नेता के रूप में भी बखूबी उभरे। उन्होंने वित्त मंत्री, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री तीनों का बारी-बारी से पद संभाला था।
पूर्व मेजर जसवंत सिंह ने 1957 से 1966 तक, 9 साल देश की सेवा करने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया। बाद में वो जोधपुर के महाराजा गज सिंह के निजी सचिव भी रहे।
राजनीति का सफर उनका भारतीय जनता पार्टी से शुरू हुआ था। जसवंत सिंह को बीजेपी से 1980 में पहली बार राज्य सभा का टिकट मिला। और ये पहली बार नहीं, बल्कि 1980, 1986, 1998, 1999, 2004, 5 बार टिकट प्राप्त हुआ।
अटल बिहारी वाजपेयी और जसवंत सिंह
इसके बाद 1996 अटल बिहारी वाजपेयी के 13 दिन की सरकार में वो वित्त मंत्री बनाए गए।
ऐसा माना जाता है कि वाजपेयी और जसवंत सिंह के काफी अच्छे संबंध भी थे। जसवंत सिंह बीजेपी के उन कम लोगों में से आते थे जिनकी पृष्ठभूमि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की नहीं थी। इसके बावजूद वाजपेयी से खूब बनती थी। यही कारण है जब बीजेपी सत्ता में लौटी तब वाजपेयी जसवंत सिंह को फिर से वित्त मंत्री का पद सौंपना चाहते थे, लेकिन आरएसएस ने उनका विरोध किया। वाजपेयी को इससे कष्ट पहुंचा लेकिन उन्होंने जसवंत सिंह को योजना आयोग का उपाध्यक्ष बना दिया।
जब वाजपेयी सरकार सत्ता में दुबारा लौटी तब जसवंत सिंह को विदेश मंत्री बनाया गया। ये कार्यकाल उनका 5 दिसंबर 1998 से 1 जुलाई 2002 चला। 2002-2004 तक में इन्हे दुबारा वित्त मंत्री बनाया गया।
जॉर्ज फर्नांडिस को इस्तीफा देना पड़ा तहलका एक्स्पोज़र के बाद इस समय जसवंत सिंह ने रक्षा मंत्री का भी पद संभाला था।
19 अगस्त 2009 में उनकी लिखी पुस्तक ‘जिन्ना – भारत, विभाजन, स्वतंत्रता’ में उनकी टिप्पणी की आलोचना के बाद उन्हें भाजपा से निष्कासित कर दिया गया। उन्होंने कथित रूप से अपनी पुस्तक में पाकिस्तान के संस्थापक की प्रशंसा की थी।
राज्य सभा में विपक्ष के नेता के तौर पर आखिरी बार 2004 से 2009 तक सदस्य रहे।
जसवंत सिंह द्वारा लिखी पुस्तकें
अपनी पहली पुस्तक ‘ राष्ट्रीय सुरक्षा ‘ उन्होंने 1996 में लिखी थी। इसके बाद डिफेंडिंग इंडिया (1999), डिस्ट्रिक्ट डायरी (2001), ट्रैवल्स इन ट्रान्सोक्सियाना- इन लैंड ओवर द हिन्दू – कुश एंड एक्रोस द अमु दर्या (2006), इन सर्विस ऑफ इमरजेंट इंडिया: अ कॉल टू ऑनर (2007), कनफ्लिक्ट एंड डिप्लोमेसी – यूएस एंड द बर्थ ऑफ बांग्लादेश, पाकिस्तान डिवाइड्स (2008) जिन्ना: इंडिया -पार्टीशन- इंडिपेंडेंस (2010), इंडिया एट रिस्क – मिस्टेक्स, मिसकनसेप्शन, एंड मिस एडवेंचर्स ऑफ सिक्योरिटी पॉलिसी ( 2013) पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं।
कई दिग्गज ने प्रकट किया शोक
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया कि जसवंत सिंह जी को राजनीति और समाज के मामलों पर उनके अनूठे दृष्टिकोण के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने भाजपा को मजबूत बनाने में भी योगदान दिया। मैं हमेशा हमारी बातचीत को याद रखूंगा। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदना। ओम् शांति।
डॉ शशि थरूर ने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री # जसवंतसिंह जी, अनुभवी नेता, विचारक और लेखक के निधन के बारे में जानकर गहरा दुख हुआ। भारतीय राजनीति को परिभाषित करने और उसका बचाव करने में उनका योगदान पर्याप्त था। उनकी शालीनता और शालीनता पौराणिक थी। गहन शोक संवेदना।
पूर्व भारतीय क्रिकेटर युवराज सिंह ने ट्वीट कर कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंतसिंह जी के निधन के बारे में जानकर दुख हुआ। एक सैनिक, सक्षम नेता और मजबूत राजनयिक के रूप में देश के लिए उनकी सेवा को हमेशा याद रखा जाएगा। उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदना हैं।
मानसी शर्मा