पति का आयकर रिटर्न नहीं देख सकती पत्नी, सूचना आयोग ने सुनाया फैसला

पति का आयकर रिटर्न नहीं देख सकती पत्नी, सूचना आयोग ने सुनाया फैसला

नई दिल्ली | बात जब निजता की है तो कानून पति और पत्नी के संबंधों पर भी लागू होगा। केंद्रीय सूचना आयोग ने इस बारे में एक फैसला दिया है, कि पति द्वारा फाइल किए गए आयकर रिटर्न का ब्योरा पत्नी को नहीं दिया जा सकता। यह आरटीआई कानून की धारा 8 (1) (जे) के

नई दिल्ली | बात जब निजता की है तो कानून पति और पत्नी के संबंधों पर भी लागू होगा। केंद्रीय सूचना आयोग ने इस बारे में एक फैसला दिया है, कि पति द्वारा फाइल किए गए आयकर रिटर्न का ब्योरा पत्नी को नहीं दिया जा सकता। यह आरटीआई कानून की धारा 8 (1) (जे) के तहत छूट के दायरे में आएगा।

केंद्रीय सूचना आयोग ने आदेश में कहा कि किसी व्यक्ति की ओर से जमा किया गया आयकर रिटर्न सार्वजनिक गतिविधि नहीं है। यह एक कर्तव्य है जिसका व्यक्ति राज्य के प्रति निर्वहन करता है, जैसे टैक्स की अदायगी। ये सूचना आवेदक को नहीं दी जा सकती, इसमें कोई व्यापक जनहित शामिल नहीं है । इस मामले में पत्नी शामिल नहीं है।

इस मामले में पत्नी ने आयकर विभाग में आरटीआई अर्जी दायर कर अपने पति के आयकर रिटर्न की जानकारी मांगी थी, जिसके साथ उसके संबंध खराब चल रहे थे। आयकर विभाग ने इस याचिका को यह कह कर खारिज कर दिया कि आयकर रिटर्न गोपनीय होता है और इसे आरटीआई की धारा 8(1)(जे) के तहत छूट प्राप्त है। यह मामला बेंगलुरु का था।

सीमित जानकारी देने पर विचार कर सकता है विभाग

आयोग ने आयकर विभाग से कहा कि वह पत्नी को सीमित जानकारी देने पर विचार कर सकता है कि पिछले छह वर्षों में उसके पति की कुल आय कितनी रही। यह जानकारी सिर्फ संख्या में ही दी जाएगी, ताकि वह गुजारे भत्ते के अपने केस में उसका इस्तेमाल कर सके।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया मामला केंद्रीय सूचना आयोग तक आया और सूचना आयुक्त नीरज कुमार गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले में दी गई नजीर का हवाला दिया और कहा कि पति-पत्नी के निजी झगड़े में धारा 8 (1)(जे) के संरक्षण को तब तक नहीं हटाया सकता जब तक आवेदक यह साबित न कर दे कि इस खुलासे में बेहद व्यापक जनहित शामिल है। आयोग ने कहा कि आरटीआई कानून, 2005 के हिसाब से पति इस मामले में थर्ड पार्टी है।

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