शाहीन बाग़ जैसे धरना प्रदर्शन के नाम पर कब्जे को नहीं मिल सकती मंज़ूरी
नयी दिल्ली: शाहीन बाग जैसे धरना प्रदर्शन कर सार्वजनिक स्थानों को बाधित करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा अगर किसी भी सार्वजानिक जगह का इस्तेमाल धरना प्रदर्शन के लिए किया जाता है तो पुलिस कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है. धरना या विरोध प्रदर्शन के नाम पर कब्ज़ा
नयी दिल्ली: शाहीन बाग जैसे धरना प्रदर्शन कर सार्वजनिक स्थानों को बाधित करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा अगर किसी भी सार्वजानिक जगह का इस्तेमाल धरना प्रदर्शन के लिए किया जाता है तो पुलिस कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है. धरना या विरोध प्रदर्शन के नाम पर कब्ज़ा करने को जायज़ नहीं ठहराया जा सकता है.
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध में बड़ी संख्या में लोग जमा हुए थे, रास्ते को प्रदर्शनकारियों ने ब्लॉक किया था, जो गलत है क्योंकि कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों एवम् सड़कों पर अनिश्चितकाल के लिए कब्ज़ा नही किया जा सकता।
न्यायालय ने कहा कि सड़क पर आवागमन का अधिकार अनिश्चित काल तक रोका नहीं जा सकता। न्यायालय ने कहा कि केवल निर्दिष्ट क्षेत्रों में ही विरोध प्रदर्शन किया जाना चाहिए। खंडपीठ ने कहा, ” सार्वजनिक बैठकों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है, लेकिन उन्हें निर्दिष्ट क्षेत्रों में होना चाहिए। संविधान विरोध प्रदर्शन का अधिकार देता है लेकिन इसे समान कर्तव्यों के साथ जोड़ा जाना चाहिए।”
खंडपीठ ने ऐसे मामलों में निर्णय लेने में सरकार को इंतजार ना करने और न्यायालय के कंधे पर बंदूक ना रखने की भी नसीहत दी।