
कानून में दायरे में सही है मुंबई पुलिस की कार्रवाई, सबूत मिलने पर फिर खोला जा सकता है बंद केस
मुंबई। आज देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में खुलेआम लोकतंत्र के चीरहरण के बाद एक नई बहस छिड गई है। रिपब्लिक टीवी के प्रमुख अर्नब की गिरफ्तारी के बाद जहाँ कुछ लोग मुंबई पुलिस की इस कार्रवाई के साथ खड़े नजर आ रहे है वहीं दूसरी तरफ अर्नब समर्थकों ने इसे पुलिस की बर्बरता व
मुंबई। आज देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में खुलेआम लोकतंत्र के चीरहरण के बाद एक नई बहस छिड गई है। रिपब्लिक टीवी के प्रमुख अर्नब की गिरफ्तारी के बाद जहाँ कुछ लोग मुंबई पुलिस की इस कार्रवाई के साथ खड़े नजर आ रहे है वहीं दूसरी तरफ अर्नब समर्थकों ने इसे पुलिस की बर्बरता व आपातकाल जैसी कार्रवाई बताया है।
महाराष्ट्र के मौजूदा हालात में जिस तरह कानून और संविधान का उपहास उड़ाया जा रहा है। 2018 में जिस मुकदमे में पुलिस ने क्लोज़र रिपोर्ट जमा कर मुकदमा बंद किया आज दुबारा फिर उसी में अर्नब गोस्वामी कि गिरफ्तारी कानुन का दुरूपयोग है। अर्नब को आज धारा 306 आइ पी सी के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में 2018 के मुकदमे को दुबारा खोल कर गिरफ्तार किया गया है। जिस तरह से गिरफ्तारी की गई उस पर सवाल उठाए जा रहे हैं। हांलाकि कानून के मुताबिक किसी मुकदमे में क्लोज़र रिपोर्ट के बाद कोई भी केस नये सबुत मिलने पर खुल सकता हैं।
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