किसान आंदोलन: 8वें दौर की बैठक भी बेनतीजा

किसान आंदोलन: 8वें दौर की बैठक भी बेनतीजा

नयी दिल्ली: कृषि सुधार से संबंधित तीन कानूनों को वापस लेने और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी दर्जा देने की मांग को लेकर सोमवार को किसानों और सरकार के बीच 8वें दौर की हुई वार्ता में कोई निर्णय नहीं हो सका। लगभग तीन घंटे चली वार्ता के बाद कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह

नयी दिल्ली: कृषि सुधार से संबंधित तीन कानूनों को वापस लेने और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी दर्जा देने की मांग को लेकर सोमवार को किसानों और सरकार के बीच 8वें दौर की हुई वार्ता में कोई निर्णय नहीं हो सका।

लगभग तीन घंटे चली वार्ता के बाद कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों के साथ बातचीत बहुत ही अच्छे माहौल में हुई है और उन्हें विश्वास है कि समस्या का समाधान जल्द ही हो जायेगा। उन्हाेंने कहा कि सरकार ने किसानों के समग्र हित को ध्यान में रखकर कृषि सुधार कानूनों को बनाया है और इससे यदि उन्हें कोई परेशानी हो रही है तो सरकार उस चर्चा के लिए तैयार है।

नरेंद्र तोमर ने कहा कि किसान संगठन कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने पर अड़े हुए हैं जबकि सरकार उन पर बिंदुवार चर्चा करना चाहती है। उन्होंने कहा कि आठ जनवरी को होने वाली बैठक सार्थक होगी और वे समाधान तक पहुंचेगे। दोनों पक्षों के बीच सहमति के बाद वार्ता की अगली आठ जनवरी को तय की गयी है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों का सम्मान करती है और उसके विकास के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

40 दिनों से जारी है प्रदर्शन

इससे पहले किसान नेता राकेश टिकैत ने संवाददाताओं को बताया कि सरकार कृषि सुधार कानूनों पर बिंदुवार चर्चा करना चाहती है और उसकी मंशा कानून में संशोधन की है जबकि किसान संगठन इन तीनों कानूनों को वापस किये जाने पर अडिग हैं। सरकार और किसानों के बीच अगली बैठक आठ जनवरी को होगी।

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राकेश टिकैत ने कहा कि कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर बार-बार तीनों कानूनों पर बिंदुवार चर्चा पर जोर देते हे जिसके कारण गतिरोध बना रहा। उन्होंने कहा कि तीनों कानूनों को वापस लिये जाने तक किसान संगठनों का आंदोलन जारी रहेगा।

किसान संगठन राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर पिछले 40 दिनों से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले दो दिनों से बारिश के बावजूद उनका आंदोलन जारी है। पिछले दौर की हुई वार्ता में बिजली शुल्क पर दी जा रही सब्सिडी और पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई नहीं किये जाने के मुद्दे पर किसानों और सरकार के बीच सहमति बन गयी थी लेकिन कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने और एमएसपी को कानूनी दर्जा दिये जाने पर गतिरोध बना रहा।

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