
शिक्षा मंत्री ने कहा आत्मनिर्भर भारत में एग्री-फूड स्टार्टअप्स की भूमिका अहम
नयी दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा देश का कृषि क्षेत्र, हमारे किसान, हमारे गांव, आत्मनिर्भर भारत के आधार स्तंभ हैं। अगर यह मजबूत रहेंगे तो आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत होगी और उनका मानना है कि आत्मनिर्भर भारत को विकसित करने में एग्री-फूड स्टार्टअप्स की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रहेगी। डॉ
नयी दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा देश का कृषि क्षेत्र, हमारे किसान, हमारे गांव, आत्मनिर्भर भारत के आधार स्तंभ हैं। अगर यह मजबूत रहेंगे तो आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत होगी और उनका मानना है कि आत्मनिर्भर भारत को विकसित करने में एग्री-फूड स्टार्टअप्स की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रहेगी।
डॉ निशंक ने नाबार्ड और आईआईटी खड़गपुर द्वारा आयोजित पहले एग्री-फूड टेकथॉन को संबोधित करते हुए आज कहा, “मुझे खुशी है कि एग्री-फूड टेकथॉन, लाल बहादुर शास्त्री जी के ‘जय जवान, जय किसान’ के आदर्श के साथ जुड़ा हुआ है। शास्त्री जी ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हरित क्रांति की शुरुआत की। वह भारत की कृषि पारिस्थितिकी तंत्र में एक क्रांति लाने के लिए किसानों की शक्तियों में विश्वास करते थे। वह किसान – अनाज और जीवन के मजबूत रिश्ते में विश्वास करते थे।”
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में दूसरी हरित क्रांति शुरू करने की क्षमता है। बरही में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की आधारशिला रखते हुए माननीय प्रधानमंत्री जी ने भी कहा था कि भारत में कृषि सुधार लाने के लिए पश्चिम बंगाल केंद्र बिंदु है।
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उन्होनें सरकार द्वारा कृषि एवं किसानों के कल्याण के लिए शुरू की गई विभिन्न योजनाओं के बारे में भी सबको अवगत करवाया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2022-23 तक किसानों की आय दोगुनी करने का जो लक्ष्य निर्धारित किया है उसको पूरा करने एवं भारतीय कृषि के समग्र और सतत विकास के लिए भारत सरकार ने कई कदम उठाए हैं।
केंद्रीय मंत्री ने एग्री-फूड स्टार्टअप्स के बारे में बात करते हुए कहा, “भारतीय कृषि को एडवांस्ड कृषि तकनीकी की मदद से काफी हद तक बेहतर कर सकते हैं। ऐसे में, भारत में एग्री-फूड स्टार्टअप्स के लिए बहुत बड़ा स्कोप है। पिछले एक दशक में, शिक्षित युवाओं, नवीन विचारों और एडवांस्ड तकनीकी तथा व्यावसायिक विचारों को लॉन्च करने के अदम्य सहस ने भारतीय कृषि को नई ऊंचाई प्रदान किया है।”
एग्री-फूड स्टार्टअप्स, एग्रीकल्चरल वैल्यू चैन की कमियों को दूर कर, किसानों एवं उपभोक्ताओं दोनों के लिए कुशल उत्पादों, तकनीकी और सेवाओं को प्रदान करके भारतीय खाद्य एवं कृषि क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला रहे हैं। वे आईसीटी एप, फ़ार्म ऑटोमेशन, मौसम पूर्वानुमान संबंधी सेवाओं, ड्रोन, इनपुट्स रिटेलिंग, इक्विपमेंट हायरिंग, ऑनलाइन वेजिटेबल मार्केटिंग, स्मार्ट पोल्ट्री और डेयरी, संरक्षित खेती तथा इनोवेटिव फ़ूड प्रोसेसिंग और पैकेजिंग जैसी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
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वर्ष 2018 में भारत में लगभग 500 एग्री स्टार्टअप्स थे जो बेहद उत्साहजनक है क्योंकि इन स्टार्टअप्स ने पिछले पांच वर्षों में लगभग 130 मिलियन डॉलर का निवेश जुटाया है।
डॉ निशंक ने आगे कहा, “मुझे खुशी है कि आईआईटी खड़गपुर द्वारा अपनाए जा रहे उपायों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के साथ जोड़ दिया गया है। हमारी नई शिक्षा नीति इंटर डिसिप्लिनरी शिक्षा पर केंद्रित है और यह सुनिश्चित करेगी कि छात्र क्या सीखना चाहते हैं। इसी तरह, यह एग्री-फूड टेकथॉन एग्री-फूड स्टार्टअप इनक्यूबेशन के लिए नए कांसेप्ट और नए विचारों की पहचान करेगा तथा इन स्टार्टअप्स को सफल व्यावसायिक उपक्रमों में बदलने में भी मददगार साबित होगा। साथ ही, हमारी नई शिक्षा नीति के अनुसार, छठवीं कक्षा से स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा शुरू होगी और इसमें इंटर्नशिप शामिल होगी. व्यावसायिक शिक्षा के महत्व को बढ़ाने से एग्री-फूड स्टार्टअप के विकास को काफी फायदा पहुंचेगा।”
इसके अलावा उन्होनें यह भी कहा कि आज जब हमारा देश आत्मनिर्भर बनने के लिए आगे बढ़ रहा है, तो ब्रांड इंडिया की पहचान को मजबूत करने में एग्री-फूड स्टार्टअप्स की भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। मुझे उम्मीद है कि नए विचारों को पोषण देकर और एग्री-फूड स्टार्टअप को प्रेरित कर तथा हमें एक नई ऊंचाई पर ले जाकर एग्री बिज़नेस इन्क्यूबेशन सेंटर भारतीय कृषि को सशक्त करेगा।
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यह टेकथॉन एग्री-फूड सेक्टर के विभिन्न क्षेत्रों में नवीनीकरण और उद्यमिता में भारत के युवाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया गया है। यह एग्री-फूड टेकथॉन इस क्षेत्र में स्टार्टअप इन्क्यूबेशन के लिए नए विचारों की पहचान कर के उनको सफल बिज़नेस बनाने में मदद करेगा।
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य प्रसिद्ध शिक्षाविदों द्वारा तकनीकी वार्ता के माध्यम से और युवा किसानों को प्रोत्साहित करके कृषि संबंधी समस्याओं का नए-नए समाधान खोजना है, इसके अलावा जागरूकता फैलाना भी इस कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है।
इस अवसर पर नाबार्ड के अध्यक्ष डॉ जी आर चिंताला, आईआईटी खड़गपुर के निदेशक प्रोफेसर वी के तिवारी, उपनिदेशक प्रोफेसर एस के भट्टाचार्य, एग्रीकल्चर एंड फ़ूड इंजीनियरिंग एवं सेंटर फॉर रूरल डेवलपमेंट एंड इनोवेटिव सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी के हेड प्रो रिंटू बैनर्जी, आईआईटी खड़गपुर के राजेंद्र मिश्रा स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग एंटरप्रेन्योरशिप के हेड प्रोफेसर सी एस कुमार, आईआईटी खड़गपुर के एग्रीकल्चर बिज़नेस इन्क्यूबेशन सेंटर के नोडल ऑफिसर प्रोफेसर एच एन मिश्रा भी उपस्थित रहे।
इन्पुट – यूनीवार्ता
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