लता मंगेशकर- एक ऐसी गायिका जिन्हें ‘भारत रत्न’ का सम्मान प्राप्त है।

लता मंगेशकर- एक ऐसी गायिका जिन्हें ‘भारत रत्न’ का सम्मान प्राप्त है।

सदाबहार गीतों और अपनी गायकी की मधुर आवाज से लोगों के दिलों को छूना स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने 13 साल की उम्र से ही शुरु कर दिया था। जब वह मात्र 13 साल की थीं तब 1942 में मराठी फिल्म ‘पहली मंगलागौर’ में पहली बार उन्होंने गाना गाया था । वर्ष 1974 में लंदन

सदाबहार गीतों और अपनी गायकी की मधुर आवाज से लोगों के दिलों को छूना स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने 13 साल की उम्र से ही शुरु कर दिया था। जब वह मात्र 13 साल की थीं तब 1942 में मराठी फिल्म ‘पहली मंगलागौर’ में पहली बार उन्होंने गाना गाया था । वर्ष 1974 में लंदन के सुप्रसिद्ध रॉयल अल्बर्ट हॉल में उन्हें पहली भारतीय गायिका के रूप में गाने का अवसर प्राप्त हुआ।
एक बार दिलीप कुमार ने कहा था कि लता मंगेशकर की आवाज़ कुदरत की तख़लीक़ का एक करिश्मा हैं।
इसी गायकी के कारण इन्हे ‘क्वीन ऑफ मेलोडी’, ‘वॉयस ऑफ द नेशन’, ‘वॉयस ऑफ द मिलेनियम’, ‘नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’ जैसे नामों से जाना जाता है।

आज स्वरों की रानी लता मंगेशकर के जन्मदिन के मौके पर यह विशेष।

लता मंगेशकर का शुरुआती जीवन

लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर में ब्रिटिश इंडिया के काल में हुआ। इनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर मराठी, कोंकणी, शास्त्रीय गायक और थिएटर अभिनेता थे।

गायिका लता का नाम उनके जन्म के समय हेमा रखा गया था पर उनके पिता ने अपने एक नाटक ‘भावबंधन’ के पात्र ‘ लतिका ‘ के नाम पर उनका नाम ‘लता’ रख दिया।

लता मंगेशकर ने अपने शुरुआती जीवन में संगीत अपने पिता से ही सीखा। जब वह मात्र 5 साल की थी तब अपने पिता के साथ मराठी के संगीत नाटकों में अभिनेत्री के रूप में काम किया करती थी।
पर 1942 में जब लता केवल 13 वर्ष की थी तो उनके ऊपर बहुत बड़ा दुख टूट पड़ा। उनके पिता की दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई।
इस दुखद परिस्थिति मंगेशकर परिवार के बेहद करीबी दोस्त विनायक दामोदर कर्नाटकी ने देखभाल की। नवयुग चित्रपट फिल्म कंपनी विनायक दामोदर ने लता को एक गायक और अभिनेत्री के रूप में करियर की शुरुआत करने में मदद की।

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लता मंगेशकर के गायन की शुरुआत

लता मंगेशकर बॉलीवुड के लिए ताज है और गायकी की दुनिया में एक प्रतीक। उनकी आवाज सदा एक सी रहती है। चाहे दो देश भक्ति गाने गाएं, प्रेम गीत गाएं या भजन गाएं। उनकी आवाज में वह मिठास, दर्द, प्रेम महसूस किया जा सकता है। 60 दशकों में मंगेशकर ने इतने गाने गाए हैं कि उन्हें गिन पाना बहुत मुश्किल है। हजारों गाने और अनेक भाषाएं जिसमें हिंदी, मराठी, तमिल, भोजपुरी, कन्नड़, बंगाली, असमी जैसी कई भाषाएं शामिल हैं।

उन्होंने अपना पहला गाना मराठी फिल्म पहली मंगला गौर (1942) के लिए ‘नटली चैत्राची नवालाई’ और उनका पहला हिंदी गाना मराठी फिल्म गजाभाऊ (1943) के लिए ‘माता एक सपूत की दुनिया बदल दे तू’ गाया था।

1945 में मुंबई आने के बाद उन्होंने भिंडीबाजार घराने के उस्ताद अमन अली खान से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लेनी शुरू की। सावन का महीना पवन करे शोर, मैं चली मैं चली, चंदा है तू जैसे कई सुपरहिट गाने उन्होंने गाया।

27 जनवरी 1963 में तत्काल प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के सामने चीन-भारतीय युद्ध 1962 को लेकर लता मंगेशकर ने देशभक्ति गीत ‘ए मेरे वतन के लोगों’ गाया था। कहा जाता है कि इसको सुनने के बाद प्रधानमंत्री के आंखों में आंसू आ गए थे।

फिल्म अनपढ़ (1962) से आपकी नजरों ने समझा , वह कौन थी (1964) से ‘लग जा गले’ और ‘ नैना बरसे रिमझिम’, मेरा साया (1966) से तू जहां जहां चलेगा, चिराग (1969) से ‘तेरी आंखों के सिवा’ से लेकर उनके द्वारा गाए गए हजारों गाने सदाबहार हैं।

उन्होंने बतौर म्यूजिक डायरेक्शन और प्रोडक्शन के तौर पर भी काम किया। उन्होंने फिल्म ‘सधी मनसे’ के लिए महाराष्ट्र राज्य सरकार का सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक पुरस्कार जीता और इसी फिल्म के गीत ‘एयरानीच्या देवा तुला’ को सर्वश्रेष्ठ गीत का पुरस्कार मिला था।

उन्होने पहली बार 1955 में मराठी फिल्म ‘राम राम पावने’ के लिए म्यूजिक कंपोस्ड किया था।

लता मंगेशकर को प्राप्त प्रतिष्ठित सम्मान व पुरस्कार

उन्हे गायकी के लिए हर बड़े पुरस्कार और भारत के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया है।
जिसमें महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार (1997), लाइफटाइम अचीवमेंट्स के लिए जी सिने अवार्ड (1999), एनटीआर राष्ट्रीय पुरस्कार (1999), एएनआर नेशनल अवार्ड (2009), तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 15 बंगाल फिल्म कलाकार एसोसिएशन अवार्ड्स से सम्मानित हैं।

उन्होंने चार फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ महिला प्लेबैक पुरस्कार भी जीते हैं। इसके बाद में उन्हें 1993 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड और 1994 और 2004 में फिल्मफेयर स्पेशल अवार्ड्स से सम्मानित किया गया।

भारतीय सर्वोच्च सम्मान से उन्हें नवाजा गया है जिसमें पद्म भूषण (1969), दादा साहब फाल्के अवार्ड (1989), पद्म विभूषण (1999), भारत रत्न (2001) शामिल है। 2009 में, लता मंगेशकर को फ्रांस के सर्वोच्च सम्मान फ्रांसीसी सेना के अधिकारी के खिताब से सम्मानित किया गया था।

रिपोर्ट –
मानसी शर्मा

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