बिहार विधानसभा चुनाव में 50 फीसदी से ज्यादा उम्मीदवारों पर दर्ज हैं आपराधिक मामलें

बिहार विधानसभा चुनाव में 50 फीसदी से ज्यादा उम्मीदवारों पर दर्ज हैं आपराधिक मामलें

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 का परिणाम आ चुका है। इस बार फिर से नीतिश कुमार की जेडियू और भारतीय जनता पार्टी बिहार में अपनी सरकार बनाने में कामयाब रही। पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर को 71 सीटों पर हुआ था। दूसरे चरण का मतदान 3 नवंबर को 94 सीटों पर और तीसरा चरण का

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 का परिणाम आ चुका है। इस बार फिर से नीतिश कुमार की जेडियू और भारतीय जनता पार्टी बिहार में अपनी सरकार बनाने में कामयाब रही। पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर को 71 सीटों पर हुआ था। दूसरे चरण का मतदान 3 नवंबर को 94 सीटों पर और तीसरा चरण का मतदान 78 सीटों पर हुआ था। किसी पार्टी को विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल करने के लिए 243 सीटों में से 122 सीटों पर अपनी जीत दर्ज करनी होती है।

अंतिम चरण के मतदान के बाद शनिवार को चुनाव आयोग द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार तीन चरण के चुनावों में कुल 3,733 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें 371 महिलाएं शामिल थीं। बिहार इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्मस् की रिपोर्ट के मुताबिक कई ऐसे भी उम्मीदवार हैं जो आपराधिक मामले और गंभीर आपराधिक मामले में दोषी पाए गएं हैं।

कितने उम्मीदवारों के ऊपर आपराधिक मामले हैं दर्ज ?

बिहार चुनाव के उम्मीदवारों के आपराधिक मामलों की जांच करने वाली वॉच पोल एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने कहा कि बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए उम्मीदवारों द्वारा दायर किए गए चुनावी हलफनामों के विश्लेषण में पाया गया कि 31% उम्मीदवारों ने आपराधिक मामलों की घोषणा की है। रिपोर्ट के मुताबिक 31 प्रतिशत लोगों के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज हैं वहीं 23 प्रतिशत उम्मीदवारों के ऊपर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।

एडीआर द्वारा मंगलवार को जारी रिपोर्ट में चुनाव के पहले चरण में 1,066 में से 1,064 उम्मीदवारों का विश्लेषण किया गया और पाया गया कि 328 उम्मीदवारों ने लंबित मामलों की घोषणा की थी। रिपोर्ट के अनुसार आरजेडी के 73% , बीजेपी के 72%, एलजेपी के 59%, आईएनसी के 57%, जेडी(यू) के 43% और बीएसपी के 31% उम्मीदवारों के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज हैं।

एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के 1,463 उम्मीदवारों में से लगभग 34% उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। लगभग 27% उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। गंभीर आपराधिक मामले पांच साल से अधिक की सजा के साथ गैर-जमानती अपराध हैं।

एडीआर के संस्थापक जगदीप एस. छोकर ने एक आभासी प्रेस कॉन्फ्रेंस में रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि 13 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पार्टियों को जारी निर्देशों के बाद बिहार चुनाव पहला आम चुनाव हुआ था, जिसमें आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवार को चुनने के कारणों को प्रकाशित करना था। उन्होंने कहा कि आमतौर पर रेड अलर्ट निर्वाचन क्षेत्र के उम्मीदवार की संख्या 50 प्रतिशत होती है जिनके ऊपर तीन या ज्यादा आपराधिक मामले लंबित हैं पर ये बिहार पोल में 89 प्रतिशत बढ़ गयी। उन्होनें कहा कि ज्यादातर पार्टियों ने कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का राजनीतिक दलों द्वारा उम्मीदवारों के चयन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है क्योंकि उन्होंने फिर से आपराधिक मामलों वाले लगभग 32% उम्मीदवारों को टिकट देने की अपनी पुरानी प्रथा का पालन किया है।

रिपोर्ट – मानसी शर्मा

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