कृषि सुधार बिल: आपदा में अवसर की नई पहल
जिस दौरान देश एक महामारी के दौर से गुजर रहा है , वहीँ एक नई क्रांति के साथ भारत सरकार ने किसानों के लिए एक उपहार के तौर पर कृषि बिल की पेशकश की।कृषि और किसानों से जुड़े दो बिलों को लेकर किसानों के विरोध की गूंज संसद से सड़क तक सुनाई दे रही है।
जिस दौरान देश एक महामारी के दौर से गुजर रहा है , वहीँ एक नई क्रांति के साथ भारत सरकार ने किसानों के लिए एक उपहार के तौर पर कृषि बिल की पेशकश की।
कृषि और किसानों से जुड़े दो बिलों को लेकर किसानों के विरोध की गूंज संसद से सड़क तक सुनाई दे रही है।
मेरा विचार है कि अगर किसी को कोई भ्रम है तो सरकार ने हर प्रकार से संवाद के लिए व्यवस्था बनाई है । अब सरकार किसानों को यह अधिकार दे रही है कि वह कहीं भी अपना उत्पाद बेच सकते हैं। मंडी कानून में कोई बदलाव नहीं किया गया है और न ही न्यूनतम समर्थन मूल्य हटाया जा रहा है।
एक लोकतांत्रिक देश मे विरोध करने मे कोई बुराई नहीं है, मगर उसको राजनीतिक चश्मे से ना डाला जाए नहीं तो देश की गरिमा भी अपना वर्चस्व खो बैठेगी।
अगर किसान इस बिल को ध्यान से पढ़े तो सारे भ्रम ख़त्म हो जायेंगे, मैं अपनी राजनीतिक समझ से आपको एक बार फिर से इस बिल को समझाने कि एक छोटी सी कोशिश कर रहा हूँ।
कृषि सुधार बिल 2020
ये दो बिल – कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 – कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 कृषि से जुड़े इन दो बिलों के अलावा आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 ।
जहां तक कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 का सवाल है तो ये राज्य-सरकारों की ओर से संचालित एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (APMC) मंडियों के बाहर (“बाजारों या डीम्ड बाजारों के भौतिक परिसर के बाहर”) फार्म मंडियों के निर्माण के बारे में है. भारत में 2,500 एपीएमसी मंडियां हैं जो राज्य सरकारों द्वारा संचालित हैं.
वहीं दूसरा बिल [कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020)] कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग या अनुबंध खेती के बारे में है.
सुधारों पर एक नज़र
- राज्यों की कृषि उत्पादन वितरण समिति यानि एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (APMC) के अधिकार बरकरार रहेंगे. इसलिए किसानों के पास सरकारी एजेंसियों का विकल्प खुला रहेगा.|
2. नए बिल किसानों को इंटरस्टेट ट्रेड (अंतरराज्यीय व्यापार) को प्रोत्साहित करते हैं, किसान अपने उत्पादों को दूसरे राज्य में स्वतंत्र रूप से बेच सकेंगे |
- वर्तमान में APMCs की ओर से विभिन्न वस्तुओं पर 1% से 10 फीसदी तक बाजार शुल्क लगता है, लेकिन अब राज्य के बाजारों के बाहर व्यापार पर कोई राज्य या केंद्रीय कर नहीं लगाया जाएगा. |
- किसी APMC टैक्स (या कोई लेवी और शुल्क आदि) का भुगतान नहीं होगा. इसलिए और कोई दस्तावेज की जरूरत नहीं |
खरीदार और विक्रेता दोनों को लाभ मिलेगा (निजी कंपनियों और व्यापारियों की ओर से APMC टैक्स का भुगतान होगा, किसानों की ओर से नहीं).
अन्य लाभ
- किसान कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग या अनुबंध खेती के लिए प्राइवेट प्लेयर्स या एजेंसियों के साथ भी साझेदारी कर सकते |
- वर्तमान में किसान सरकार की ओर से निर्धारित दरों पर निर्भर हैं. लेकिन नए आदेश में किसान बड़े व्यापारियों और निर्यातकों के साथ जुड़ पाएंगे, जो खेती को लाभदायक बनाएंगे.|
- प्रत्येक राज्य में कृषि और खरीद के लिए अलग-अलग कानून हैं. एक समान केंद्रीय कानून सभी हितधारकों (स्टेक होल्डर्स) के लिए समानता का अवसर उपलब्ध कराएगा ।
- नए बिल कृषि क्षेत्र में अधिक निवेश को प्रोत्साहित करेंगे क्योंकि इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी. निजी निवेश खेती के बुनियादी ढांचे को और मजबूत करेगा और रोजगार के अवसर पैदा करेगा ।
- APMC प्रणाली के तहत केवल लाइसेंस प्राप्त व्यापारी जिसे आड़तिया (बिचौलिया) कहा जाता है, को अनाज मंडियों में व्यापार करने की अनुमति थी, लेकिन नया विधेयक किसी को भी पैन नंबर के साथ व्यापार करने की अनुमति देता है ।
- इससे बिचौलियों का कार्टेल टूट जाएगा – जो पूरे भारत में एक अहम मुद्दा है ।
- नया बिल बाजार की अनिश्चतिता के जोखिम को किसान से निजी एजेंसी और कंपनी की ओर ट्रांसफर करेगा । ये एक बिल ही नहीं बल्कि एक दौर की शुरुआत है, जय जवान जय किसान के नारे को भारत सरकार ने इस बिल के माध्यम से सशक्त रूप से एक नयीं पहचान दी है, मेरा सभी किसानों से अनुरोध है कि राजनीतिक गलियारों मे ना घूम कर , बिल को ध्यान से समझ कर अपनी खुद की चुनी हुई सरकार की नीति व नियत पर विश्वास करें।
जय जवान जय किसान
अंकित अरोरा
(राजनीतिक विश्लेषक)