गाली देकर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का मंच बनता सोशल मीडिया

गाली देकर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का मंच बनता सोशल मीडिया

सोशल मीडिया ! प्रसिद्धि पाने का बेहतरीन मंच। आप यहां किसी से भी जुड़ सकते हैं। जिनको पसंद करते हैं या जिनकी पसंद होना चाहते हैं। सोशल मीडिया के कई माध्यम है। फ़ेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, टिकटॉक इत्यादि। इनमें हर मीडिया प्लेटफार्म पर हर तरह के लोग जुड़े रहते हैं। हिन्दुस्तान। एक माध्यम वर्ग के लोगों

सोशल मीडिया ! प्रसिद्धि पाने का बेहतरीन मंच। आप यहां किसी से भी जुड़ सकते हैं। जिनको पसंद करते हैं या जिनकी पसंद होना चाहते हैं। सोशल मीडिया के कई माध्यम है। फ़ेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, टिकटॉक इत्यादि। इनमें हर मीडिया प्लेटफार्म पर हर तरह के लोग जुड़े रहते हैं।

हिन्दुस्तान। एक माध्यम वर्ग के लोगों वाला एक असीम संभावनाओं का देश है। आज दुनिया में सबसे अधिक युवाओं की आबादी भारत की ही है। यहां आज के समय में हर युवा तुरन्त प्रसिद्ध होना चाहता है और होते भी हैं। कोई लिखना चाहता है तो कोई डांस करना चाहता है। किसी को एक्टिंग करनी है तो किसी को सिंगर बनना है। किसी को जर्नलिस्ट बनना है तो किसी को कॉमेडियन।

आज प्रसिद्धि पाने का नशा इस कदर युवाओं पर छाया है कि युवा आज अनैतिक से अनैतिक काम करने को तैयार है। अभी हाल में ही इंस्टाग्राम पर बॉयज़ लॉकर रूम वाला मामला सोशल मीडिया के उभरते नए खतरों की तरफ़ इशारा करता है। कभी दो यूट्यूबर के बीच एक दूसरों को नीचा दिखाने की प्रतियोगिता शुरू हो जाती है।कुछ दिनों पहले मशहूर रैपर रफ़्तार और एमिवे का चर्चित डिस्स विवाद हुआ जिनके कारण इनकी मशहूरियत में तेजी से इज़ाफ़ा हुआ। मशूहर होना अच्छी बात है लेकिन अगर कोई गाली देकर मशहूर हो रहा तो समाज का इस तरफ़ ध्यान देना आवश्यक हो जाता है।

दीपक शर्मा, उपदेश राणा, एजाज़ ख़ान, हिन्दुस्तानी भाऊ जैसे अनेक नाम है जिनकी मशहूरियत सिर्फ़ और सिर्फ़ धार्मिक कट्टरता का परिचायक है। अब मशहूर यूट्यूबर कैरी मिनाती और टिकटॉक स्टार सिद्दीक़ी के बीच सोशल विवाद हुआ। ये विवाद मुख्यत: अपने अपने मीडिया प्लेटफार्म को सर्वश्रेष्ठ बताने को लेकर हुआ। लेकिन बात बढ़ती गई। गाली गलौज से बात बढ़ते बढ़ते जान से मारने तक पहुंच गई। दरसअल कैरी मिनती और सिद्दीक़ी के बीच का मसला अब धार्मिक हो चुका है। कैरी को जहां हिन्दू होने की वजह ज्यादा समर्थन मिल रहा है वहीं सिद्दीक़ी को भी मुस्लिम उन्मादियों का साथ मिल रहा है।

देश बनने में वक़्त लगता है लेकिन आजकल के युवा अगर अपनी ऊर्जा इन सब अनावश्यक चीज़ों में ज़ाया करेंगे तो आज जो उनकी प्रसिद्धि उल जुलूल कामों को लेकर मिली है कल गायब हो जाएगी। तब ये प्रसिद्धि उन्हें अवसाद में धकेल देगी। इसलिए युवाओं को अपनी ऊर्जा सही दिशा में लगाने की आवश्यकता है। बस आपमें प्रतिभा होनी चाहिए । प्रसिद्धि के साथ साथ प्रतिष्ठा भी महत्वपूर्ण है इस बात का ख़याल रखना अति आवश्यक है।

दीपक सिंह

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