आत्मघाती न साबित हो जाये सरकार का यह कदम…..

आत्मघाती न साबित हो जाये सरकार का यह कदम…..

लॉकडाउन ने देश में संक्रमण की रफ़्तार को नियंत्रित किया है, वरना यह अभी तक भयावह रूप ले चुका होता, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि भारत कोरोना से इस जंग को जीत चुका है।

जितनी जांच हुई है (हुई ही कितनी है?), उनमें 779 मौतों के बाद फिलहाल कोरोना के 18,953 एक्टिव केस हैं। फिर भी लगता है कि सरकार कुछ आश्वस्त है किला फतह कर लेने टाइप। लॉकडाउन-2 खत्म होने से पहले ही देश भर में दुकानें खोलने के फैसले से कुछ ऐसा ही प्रतीत हो रहा है।

ईश्वर से प्रार्थना है कि सरकार का फैसला सही साबित हो और मेरी आशंका गलत हो जाए। लेकिन फिलहाल मुझे 50 ओवर के क्रिकेट मैच का वह सीन दिखाई दे रहा है, जब शुरू के 15 ओवर में संतोषजनक बैटिंग करके बैट्समैन लापरवाही में एक कैच उछाल देता है। और फिर आया राम गया राम शुरू हो जाता है। भारत अब जिस मोड़ पर खड़ा है, वहाँ से कोरोना को बस एक गलती का इंतज़ार है।

संक्रमण के मामले डबल होने का जो गणित देश को बताया गया है, उससे मेरी सहमति नहीं है। 100 का डबल 200 होता है। लेकिन 25 हज़ार का डबल 50 हज़ार होता है और 50 हज़ार का डबल 1 लाख होता है। इसलिए 100 से 200 पहुंचने में 3 दिन लगना उतना भयावह नहीं था, जितना भयावह 15 दिन में 25 हज़ार से 50 हज़ार पहुंचना या 20 दिन में 50 हज़ार से 1 लाख पहुंचना होगा।

इसमें कोई शक नहीं कि लॉकडाउन ने देश में संक्रमण की रफ़्तार को नियंत्रित किया है, वरना यह अभी तक भयावह रूप ले चुका होता, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि भारत कोरोना से इस जंग को जीत चुका है। सरकार की छोटी सी लापरवाही या अदूरदर्शिता या कोई एक गलत फैसला भी अभी हालात को बेकाबू बना सकता है।मैं स्थिति को नियंत्रण में उस दिन मानूंगा, जब एक सप्ताह या 10 दिन तक लगातार हर रोज़ संक्रमण के नए मामलों की तुलना में ठीक होने वाले मरीजों की संख्या अधिक दर्ज हो।

  • Abhiranjan Kumar

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