कानपुर मेट्रो रेल परियोजना के कॉरिडोर-1 के बैलेंस सेक्शन (कानपुर सेंट्रल-नौबस्ता) के अंतर्गत लगभग 3.00 किमी लंबे अंडरग्राउंड सेक्शन (कानपुर सेंट्रल – स्वदेशी कॉटन मिल रैम्प) में ट्रैक बिछाने का कार्य शुरू कर दिया गया है। इस सिलसिले में स्वदेशी कॉटन मिल के समीप स्थित रैम्प से रेल पटरियों और एफबीडब्लू प्लांट को नीचे उतारा गया तथा वेल्डिंग कार्य प्रारंभ किया गया।
ट्रैक निर्माण के अंतर्गत 18 मीटर लंबी रेल पटरियों को आपस में जोड़ा जाएगा। वेल्डिंग के बाद निश्चित अंतरालों पर स्लैब की ढलाई की जाएगी, जिन पर आगे डिरेलमेंट गार्ड और थर्ड रेल लगाने की व्यवस्था होगी।
हेड हार्डेंड रेल का प्रयोग
कानपुर मेट्रो में ट्रैक निर्माण के लिए हेड हार्डेंड रेल का प्रयोग किया जा रहा है। इस तरह की रेल पटरियों का उपयोग हाई-स्पीड फ्रेट कॉरिडोर जैसी परियोजनाओं में भी होता है। ये रेल पटरियां सामान्य रेल की तुलना में अधिक कठोर और लंबे जीवन-चक्र वाली होती हैं। बैलास्ट-लेस (गिट्टी-रहित) ट्रैक में इन रेलों के कारण रखरखाव की आवश्यकता न्यूनतम रहती है और संचालन अधिक सुचारु होता है।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीएमआरसी) के प्रबंध निदेशक श्री सुशील कुमार ने कहा कि, “कानपुर सेंट्रल से स्वदेशी कॉटन मिल रैम्प के बीच ट्रैक निर्माण की शुरुआत हमारे लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस सेक्शन के अंतर्गत हाल ही में ‘आजाद’ और ‘विद्यार्थी’ टनल बोरिंग मशीनों के माध्यम से टनलिंग कार्य पूरा किया गया था। वर्तमान में ट्रैक बिछाने के साथ-साथ फिनिशिंग और सिस्टम इंस्टॉलेशन कार्य भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। हमारी पूरी टीम लक्ष्य की प्राप्ति हेतु पूर्ण समर्पण के साथ कार्यरत है।”
गौरतलब है कि लगभग 24 किमी लंबे कॉरिडोर-1 (आईआईटी-नौबस्ता) के अंतर्गत वर्तमान में लगभग 16 किमी लंबे रूट पर (आईआईटी-कानपुर सेंट्रल) तक यात्री सेवाएं संचालित हो रही हैं। कॉरिडोर-1 के बैलेंस सेक्शन (कानपुर सेंट्रल-नौबस्ता) के साथ-साथ लगभग 8.6 किमी लंबे कॉरिडोर-2 (सीएसए-बर्रा-8) का सिविल निर्माण कार्य भी तेज़ी से प्रगति पर है।