शहडोल(मध्य प्रदेश):- शहडोल -विगत दिनों से लगातार नदी-नालों,झरनों का दोहन हो रहा है प्राकृतिक स्रोतों से हो रहे छेड़छाड़ पे अब तक सम्बंधित विभागों ने कार्यवाही की आगाज नही की कंसेड नाले में अस्थायी तौर पे पुल का मामला तूल ही दे रहा था कि अब आया नया मामला देवरी- गिरवा मार्ग में कंसेंड नाले से लगा तारों का फेंसिंग,सीमांकन से ज्यादा भूक्षेत्र अधिग्रहीत हुआ माँमले की जानकारी सम्बंधित आरआई पटवारी को दिया तो गया था किंतु सम्बंधित पटवारी आरआई मामले पे खाना पूर्ति कर मामले को निष्क्रिय अवस्था मे छोड़ दिये।
यूकेलिप्टस से होता है जलस्रोतों को खतरा
कभी दलदली जमीन को सूखी धरा में बदलने के लिए अंग्रेजों के जमाने में भारत लाया गया यूकेलिप्टस का पेड़ आज पर्यावरण के लिए मुसीबतों का सबब बनता जा रहा है। जिले में साल दर साल यूकेलिप्टस का रकबा बढ़ रहा है। पेड़ो की बढ़ती संख्या से भूगर्भ के गिरते जलस्तर को थामने की कोशिशों पर भी खतरा मंडराने लगा है यही नही देवरी गिरवा मार्ग में बिखरे यूकेलिप्टस के पौधे कंसेड जलस्रोत के अस्तित्व को समाप्त तो कर ही रहे है साथ ही पर्यावरण संरक्षण भी खतरे में नजर आ रहा है।
एनजीटी व राजस्व महकमे पे सवाल
जानकारों की मानें तो नदी नालों से लगभग 500 मी की दूरी पर किसी भी प्रकार के उधोग विकसित नही किये जा सकते किन्तु यहां तो नदी के ऊपर ही तारों का फेंसिंग और रकवे से ऊपर सीमांकन न सिर्फ एनजीटी के नियमों को आंख दिखा रहा है अपितु राजस्व महकमे पे भी सवाल खड़ा करता है कि क्या नदी भी अधिग्रहित भूमि क्षेत्र के सीमांकन में आता है
( आपने जानकारी दी है मैं जाकर देखता हूँ अगर गलत तरीके से सीमांकन हुआ है तो मैं उसमे कार्यवाही करूंगा,आरआई जैतपुर)
रिपोर्ट :- अविनाश शर्मा