नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने 1975 के आपातकाल को असंवैधानिक घोषित करने संबंधी याचिका के कुछ सीमित बिंदुओं पर विचार करने पर सोमवार को सहमति जता दी।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने 94-वर्षीया विधवा की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया तथा याचिकाकर्ता को याचिका में संशोधन की अनुमति दे दी।
न्यायालय ने कहा कि वह इस बात पर विचार करेगा कि क्या इतना लंबा समय बीत जाने के बाद न्यायालय आपातकाल की घोषणा की वैधता की जांच कर सकता है?
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याचिकाकर्ता ने 1975 में आपातकाल की घोषणा को असंवैधानिक करार दिये जाने और इसमें हिस्सा लेने वाले अधिकारियों से मुआवजा के तौर पर 25 करोड़ रुपये दिलाये जाने की मांग को लेकर शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
न्यायालय ने केंद्र को उस वक्त नोटिस जारी किया, जब याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने दलील दी कि यह अदालत आपातकाल की घोषणा की वैधता की जांच के लिए अधिकृत है।
याचिका में कहा गया है कि भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में दफन सबसे काले अध्याय ‘आपातकाल’ के दौरान अधिकारियों के हाथों अत्याचार की शिकार हुई इस याचिकाकर्ता को अभी तक राहत प्रदान नहीं की जा सकी है।
इन्पुट- यूनीवार्ता