शाहजहाँपुर।सरकार की लाख कोशिशों के बाबजूद अन्नदाताओं का खुद के गेंहूँ बेंचने के नाम पर शोषण करने से बिचौलिए बाज नही आ रहे है। करोना वायरस महामारी के दौर में लॉक डाउन की स्थिति में अन्नदाता परेशान न हो इस लिए सरकार ने आन लाइन पंजीकरण करवाकर सोशल डिस्टेंस और किसान की दौड़ भाग बचाने के लिए ऑनलाइन टोकन लेने की व्यवस्था बना दी है।लेकिन किसान ऑनलाइन पंजीकरण तो करवा रहा है लेकिन उसका सत्यापन समय से नही हो पा रहा है। पंजीकरण के बाद किसान की खतौनी का सत्यापन , मात्रा का सत्यापन,होता है ।सत्यापन करने बाले जिम्मेदार कभी खतौनी का सत्यापन कर देते है और मात्रा का सत्यापन नही करते है जब किसान आन लाइन टोकन इशू कराना चाहता है तो सत्यापन में कमी होने के कारण उसका टोकन इशू ही नही होता है।चूंकि खेतों में गेंहू कट चुका है तो वह मज़बूरी में कम दाम पर आढती के पास बेंच देता है।इस समय मंडी में आढती लॉक डाउन के कारण नही आते है लेकिन गल्ला माफिया गॉवो में प्राइवेट रूप से 1700 से 1750 रु प्रति कुंतल की खरीद कर प्राइवेट सोसाइटियों के सेंटरों पर बिना टोकन के तुलवा रहे है।
यदि किसी किसान ने जैसे तैसे सत्यापन करवाकर टोकन भी ले लिया इसके बाद संबंधित सेंटर पर जब किसान जाता है तो उससे कहा जाता है कि 50 से 60 रुपया प्रति कुन्तल खर्चा देना पडेगा।जब किसान सवाल करता है कि
साहब किस लिए इतना खर्चा देना पड़ेगा तो सेंटर इंचार्ज (जो कि ठेकेदार की एक कठपुतली है)कहता है कि ऊपर से लेकर नीचे तक खर्चा देना पड़ता है।अब यह पढ़ने बाला यह न समझे कि ऊपर बाले का मतलब भगवान है।
यदि खर्चा दिया तभी आपका गेंहू तौला जाएगा नही तो तुरंत उसमे तरह तरह की कमियां निकाल दी जाएंगी।
सेन्टर ठेकेदारों ने सचिवों के साथ मिलकर तैयार कर लिए है सैकड़ो फर्जी खाते
गल्ला माफिया जोकि खुद सेंटर ठेकेदार होते है वह फर्जी खातेदार का खुद का गेंहू सरकारी भाव पर लेने के साथ 1500 रुपया प्रति खाता और दे दिया जाता है और उनका ऑनलाइन पंजीकरण करवाकर खुद के सेंटर पर टोकन इशू करवाकर प्राइवेट गल्ला माफियाओं से सांठ गांठ कर उनके द्वारा खरीदा गया गेंहू खरीद लेते है।यदि प्रशासन सेंटरों का निरीक्षण करे तो सेंटरों पर टोकन बाले किसानों की अपेक्षा गैर पंजीकृत किसानों का गेंहू ज्यादा मिलेगा।
रिपोर्ट उर्वेश चौहान