शाहजहाँपुर। कोरोना वायरस के चलते लॉक डाउन में लोग आगे बढ़कर समाज कर रहे है। जिसमें कोई निर्धनों को खाद्यय सामग्री देने पहुंच रहा है तो कोई पके भोजन के पैकेट घर घर पहुंचा रहे है। लेकिन इन सबके इतर कुछ प्राइवेट नर्सिंग होम के डॉक्टर इन सब क्रिया कलापो से दूरी बनाकर अपने नर्सिंग होम में क्वॉरटाइन हो गए है। लेकिन कोरोना का भय दिखाकर क्वॉरटाइन होना सिर्फ दिखावा मात्रा है लेकिन मकसद दूसरा है। बताया जा रहा है कि जब से लॉक डाउन हुआ है प्राइवेट नर्सिंग होम संचालकों ने अपनी फीस में 50% तक बढ़ोतरी कर दी है। लोग बताते है कि जब मरीज नर्सिंग होम जाता है तो उसे नर्सिंग होम के कर्मचारियों द्वारा बोला जाता है कि डॉक्टर साहब ने कोरोना के चलते मरीजों को देखना बन्द कर दिया है। जब मरीज मान मनोव्वल करता है तो उसे लगभग एक घण्टे बैठाया जाता है। जब नर्सिंग होम में लगभग 10 मरीज इकठ्ठे हो जाते है तो अंदर से मैसेज पास होता है कि इन सबसे कहो कि इमरजेंसी के चार्ज पर डॉक्टर साहब दूर से देख लेंगे। मरीज बेचारा मरता तो क्या न करता वह इमरजेंसी में लगभग 700 से लेकर 1000 हजार तक फीस देकर आता है। अहम बात यह है कि नर्सिंग होम से बनने बाले पर्चों में फीस लिखी भी नही जाती है।
नर्सिंग होम बन्द करने का कोई निर्देश जारी नही किया गया है गैर जरूरी ओपीडी बन्द करने के लिए कहा गया था लेकिन सामान्य मरीजों से इमरजेंसी फीस लेकर देखना गैर कानूनी है ऐसी शिकायें आने पर नर्सिंग होम संचालक को नोटिस जारी कर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी । डॉ. राजीव गुप्ता मुख्य चिकित्सा अधिकारी शाहजहाँपुर
रिपोर्ट : उर्वेश चौहान