शहडोल । कोरोना काल ने जहां लोगों की कमर तोड़ दी दूसरी ओर जिले के स्वास्थ महकमे में नियुक्त आऊट सोर्स एजेंसी द्वारा कर्मचारियों का अनवरत शोषण जारी है ।
क्या है मामला
जिले के विभिन्न सामुदायिक स्वास्थ केंद्रों में वर्ष 2009 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत पोषण पुनर्वास केंद्रों में कुक ,केयर टेकर एवम् स्वीपारों की भर्ती की गई थी और उनका मानदेय इसी योजना से प्राप्त होता था किन्तु 2017 में इस अमले को जिला रोगी कल्याण समिति के आधीन कर उनका मानदेय रोगी कल्याण समिति से भुगतान होने लगा लेकिन मिशन संचालक ( राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन , म.प्र.) के पत्र क्रमांक 8687 दिनांक 13/08/2020 के माध्यम से रोगी कल्याण समिति में पदस्थ सपोर्ट स्टाफ को आऊट – सोर्स एजेंसी के माध्यम से अर्द्धकुशल कर्मचारी के रूप में सेवा में रखे जाने के निर्देश दिए गए थे, इसी पत्र के तारतम्य में निविदा के माध्यम से मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी शहडोल द्वारा आऊट सोर्स एजेंसी के रूप में एक्स सर्विस सिक्योरिटी फोर्स जबलपुर को चयनित किया गया , और आऊट सोर्स एजेंसी से विभिन्न सामुदायिक स्वास्थ केंद्र के पोषण पुनर्वास केंद्रों में 10 केयर टेकर ,5 कुक , 5 महिला सफाई कर्मियों , एवम् 2 सपोर्ट स्टाफ तथा विभिन्न प्राथमिक स्वास्थ केंद्रों में 18 कम्प्य़ूटर आपरेटर की पूर्ति हेतु लिखा गया था साथ ही साथ यह भी लेख किया गया था कि पूर्व में रोगी कल्याण समिति के कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाए ।
क्या किया आऊट सोर्स एजेंसी ने
आऊट सोर्स एजेंसी ने रोगी कल्याण समिति के कर्मचारियों को प्राथमिकता देते हुए माह नवंबर 2020 में अपनी एजेंसी में इन कर्मचारियों को नियुक्ति दी गई लेकिन एक महीने के बाद जब कर्मचारियों को वेतन देने की नौबत आई तो इन कर्मचारियों को शासन द्वारा निर्धारित दर पर वेतन ना देते हुए निर्धारित दर का आधा ही दिया गया , जिसकी शिकायत कर्मचारियों द्वारा जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी , कलेक्टर एवं संभाग के संभागायुक्त से की गई है , किन्तु जिम्मेदारों द्वारा आजतक इन कर्मचारियों की शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है और आऊट सोर्स एजेंसी के हौंसले इतने बुलंद ही चुके हैं कि वह रोज कर्मचारियों को उनकी सेवाओं से पृथक करने की धमकी देती रहती है जिससे कर्मचारी भी अपने बाल – बच्चों के पालन पोषण एवं भविष्य की चिंता को ध्यान में रखते हुए एजेंसी के इस शोषण को सहने के लिए मजबूर हैं ।
रिपोर्ट : अविनाश शर्मा