भारत-नेपाल भले ही दो मुल्क हों लेकिन इसकी सीमाएं सुख-दुख, धर्म-संस्कृति और बोली-भाषा को साझा करने में कभी बाधक नहीं बनी। एकरूपता ऐसी कि दोनों देशों में रोटी -बेटी का रिश्ता सदियों से कायम रहा लेकिन जब से कोविड-19 के कारण बॉर्डर सील हुआ उसके बाद से नेपाल प्रशासन ने एक अलग ही रवैया अख्तियार किया हुआ है ।बॉर्डर सील होने की वजह से सामान्य आवागमन नहीं हो रहा है लेकिन फिर भी नेपाली कामगार के साथ बांके जिला के सरहदी क्षेत्र के लोग धड़ल्ले से हजारों की संख्या में रोज भारतीय सीमा में आसानी से प्रवेश करते हुए देखे जाते हैं । लेकिन वही नेपाल जमुनहा सीमा चौकी पर तैनात सुरक्षा जांच एजेंसियों के लोग भारतीयों को परेशान करने के साथ ही नेपाल बांके जिले के सरहदी क्षेत्र के बाशिंदों को भी भारतीय सीमावर्ती बाजार रूपईडीहा से दैनिक उपयोग की वस्तु खरीद कर नेपाल ले जाते हैं तो उन्हें परेशान किया जाता है ताकि वह दोबारा से भारतीय क्षेत्र से सामान खरीद कर ना ले जाए ।भारत से निर्यात किए गए सामान के भाव नेपाल में आसमान छू रहे हैं इसलिए नेपाल के मध्यम वर्गीय तबके के लोग भारतीय क्षेत्रों में खरीदारी करने के लिए आ जाते हैं ।जबकि सदियों से दोनों देशों के लोग खरीदारी के लिए दूसरे के देश आते जाते रहे ।प्रशासन द्वारा इस तरह के व्यवहार को लेकर दोनों देशों के बाशिंदों में रोष असमंजस की स्थिति बनी हुई है । लोगों का कहना है कोविड 19 महामारी के कारण बॉर्डर सील होने के बाद नेपाली प्रशासन द्वारा इस तरह का रवैया सौहार्द पूर्ण नहीं है तथा दोनों देशों के संबंधों पर कुठाराघात है ।दोनों देशों के लोगों का कहना है कि प्रशासन द्वारा जांच के उपरांत ही स्वच्छंद रूप से लोगों को आने जाने दिया जाए ।