नयी दिल्ली: बंगलादेश मुक्ति संग्राम की 50वें वर्ष के मौके पर भारत ने बंगलादेश के लिए आज पांचवे रेल संपर्क मार्ग हल्दीबाड़ी-चिल्हाटी रेललाइन का शुभारंभ किया और परस्पर सहयोग के सात समझाैतों पर हस्ताक्षर किये।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बंगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के बीच यहां वर्चुअल द्विपक्षीय शिखर बैठक में ये निर्णय लिये गये। शिखर बैठक में दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित समझौतों में हाइड्रोकार्बन, पर्यावरण, संस्कृति, कृषि एवं वाणिज्य क्षेत्र के करार के अलावा स्थानीय निकायों एवं सार्वजनिक उपक्रमों के माध्यम से सामुदायिक विकास परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए वित्तीय सहायता, बारीसाल में कचरा निस्तारण संयंत्र तथा भारत बंगलादेश सीईओ फोरम के गठन के लिए शर्तें एवं नियमावली शामिल हैं।
बैठक के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में दोनों प्रधानमंत्रियों ने संतोष के साथ यह माना कि भारत एवं बंगलादेश के बीच 1965 केे पूर्व के रेलमार्गों को बहाल किया जा रहा है। उन्होंने पश्चिम बंगाल में हल्दीबाड़ी और बंगलादेश में चिल्हाटी के बीच रेलसंपर्क का आज संयुक्त रूप से उद्घाटन किया और विश्वास जताया कि यह रेल लिंक दोनों ओर के लोगों के संबंधों एवं परस्पर कारोबार को अधिक मजबूत करेगा।
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इस मौके पर बंगलादेश के राजशाही में नगर विकास एवं सुंदरीकरण परियोजना तथा खुलना में खालिशपुर कोलिजियाट गर्ल्स स्कूल के निर्माण का उद्घाटन किया। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि कोविड की स्थिति सुधरते ही दोनों देशों के बीच ट्रेनों का परिचालन बहाल किया जाये। बैठक में पीएम मोदी ने म्यांमार के राखाइन प्रांत से विस्थापित करीब 11 लाख रोहिंग्याओं को शरण देने और उन्हें मानवीय सहायता देने की उदारता के लिए बंगलादेश की सराहना की।
प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में अपने आरंभिक वक्तव्य में कहा, “बंगलादेश हमारी ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति का एक प्रमुख स्तम्भ है। बंगलादेश के साथ संबंधों में मजबूती और गहराई लाना मेरे लिए पहले दिन से ही विशेष प्राथमिकता रही है। कोविड वैश्विक महामारी के कारण यह वर्ष चुनौतीपूर्ण रहा है। लेकिन संतोष का विषय है कि इस कठिन समय में भारत और बंगलादेश के बीच अच्छा सहयोग रहा। चाहे वो दवाइयों या मेडिकल उपकरणों में हो, या फिर स्वास्थ्य कर्मियों का साथ काम करना हो। वैक्सीन के क्षेत्र में भी हमारे बीच अच्छा सहयोग चल रहा है। इस सिलसिले में हम आपकी आवश्यकताओं का भी विशेष ध्यान रखेंगे।”
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी इस वर्ष हमारी विशेष साझेदारी निरंतर आगे बढ़ती रही है। ज़मीनी सीमापार व्यापार में बाधाओं को हमने कम किया। दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी का विस्तार किया। नए साधनों को जोड़ा। यह सब हमारे संबंधों को और अधिक मजबूत करने के हमारे इरादों को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री ने बंगलादेश मुक्ति संग्राम को याद करते हुए कहा,“विजय दिवस के तुरंत बाद, आज की हमारी मुलाकात और अधिक विशेष महत्व रखती है। मुक्ति संग्राम में बंगलादेश की ऐतिहासिक जीत को दोनों देशों में विजय दिवस के रूप में मनाना हमारे लिए गर्व की बात है।”
उन्होंने कहा, “आज जब बंगलादेश आजादी के उनचास वर्ष मना रहा है, मैं दोनों देशों के शहीदों को, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी, श्रद्धापूर्वक नमन करता हूँ। विजय दिवस के अवसर पर कल मैंने भारत में राष्ट्रीय समर स्मारक में श्रद्धासुमन अर्पित किए। और एक ‘स्वर्णिम विजय मशाल’ प्रज्वलित की। यह चार ‘विजय मशाल’ पूरे भारत में भ्रमण करेंगी, हमारे शहीदों के गाँव-गाँव ले जाई जाएँगी। 16 दिसम्बर से हम ‘स्वर्णिम विजय वर्ष’ मना रहें हैं, जिसमे भारत भर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे।”
पीएम मोदी ने ‘मुजीब बर्षो’ के अवसर पर सभी भारतीयों की ओर से बंगलादेश की प्रधानमंत्री को बधाई और अगले वर्ष बंगलादेश यात्रा के निमंत्रण के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि बंगबंधु को श्रद्धांजलि अर्पित करना उनके लिए गर्व की बात होगी। ‘मुजीब चिरंतर’ – बंगबंधु का संदेश शाश्वत है। और इसी भाव से हम भी उनकी विरासत का सम्मान करते हैं। श्रीमती हसीना के नेतृत्व में बंगबंधु की विरासत स्पष्ट रूप से झलकती है। साथ ही हमारे द्विपक्षीय संबंधों के लिए उनकी निजी प्रतिबद्धता भी स्पष्ट है।
पीएम मोदी ने कहा, “यह मेरे लिए गर्व की बात है कि आज आपके साथ बंगबंधु के सम्मान में एक डाक टिकट का विमोचन, और बापू और बंगबंधु के ऊपर एक डिजिटल प्रदर्शनी का उद्घाटन करने का मौका मिल रहा है। मैं आशा करता हूँ कि बापू और बंगबंधु की प्रदर्शनी हमारे युवाओं को प्रेरणा देगी, इसमे विशेष प्रभाग कस्तुरबा गाँधी जी और पूजनीय बंगमाता जी को भी समर्पित किया गया है।”
इन्पुट- यूनीवार्ता