कानपुर। भाजपा नेता से 50 लाख रंगदारी मामले में जेल में बंद अधिवक्ता अखिलेश दुबे के साथी लवी मिश्रा उर्फ आयुष की तीसरी जमानत अर्जी जिला जज की कोर्ट ने खारिज कर दी। अभियोजन ने भाजपा नेता और लवी के बीच हुई बातचीत की डिटेल का हवाला दिया। जिस पर कोर्ट ने कहा कि आरोपी लवी की पूरे घटनाक्रम में सक्रिय भूमिका रही है। अपराध की गंभीरता को देखते हुए जमानत अर्जी निरस्त किए जाने योग्य है। भाजपा नेता रवि सतीजा ने बर्रा थाने में 6 अगस्त को मुकदमा दर्ज कराया था।
आरोप था कि अधिवक्ता अखिलेश दुबे और उसके साथी लवी मिश्रा, शैलेंद्र यादव समेत अन्य लोगों ने मिलकर उस्मानपुर में रहने वाली किशोरी से फर्जी प्रार्थना पत्त्र रेप व पॉक्सो एक्ट के मामले में फंसाया था। मामले की जांच एसआईटी ने की तो मुकदमा फर्जी पाया गया। जिसके बाद पुलिस ने भाजपा नेता से 50 लाख रंगदारी मांगने के मामले में मुकदमा कर अखिलेश दुबे व लवी मिश्रा को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। पुलिस ने रेप केस का प्रार्थना पत्र देने वाली दोनों बहनों को सरकारी गवाह बना लिया। मुकदमे में पुलिस 22 सितंबर को चार्जशीट भी दाखिल कर चुकी है। डीजीसी ने बताया कि अखिलेश दुबे से लवी के बीच हुई बातचीत की डिटेल, फ र्जी केस कराने वाली लड़कियों के बयान के आधार पर जमानत खारिज करने की अपील की। कोर्ट ने तथ्यों को संज्ञान में लेते हुए कहा कि आरोपी लवी अपराध में सहयोगी की भूमिका में था। जमानत का आधार पर्याप्त नहीं है। दर्ज



