शिक्षकों को मंजूर नहीं ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराने का आदेश, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने विरोध में सौंपा ज्ञापन

संगठन की प्रमुख मांगें-

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Highlights
  • अन्य विभागों की भांति 'हाफ डे लीव अवकाश' का दिया जाए।
  • राज्य कर्मचारियों की भांति 30 ई.एल. या महाविद्यालयों के शिक्षकों की भांति पी.एल. दिया जाए।
  • अन्य विभागों की भांति 'प्रतिकर अवकाश' प्रदान किया जाये।
  • मौसम की प्रतिकूलता व विभागीय कार्यक्रमों में प्रतिभाग हेतु बी.एस.ए. को ऑनलाइन उपस्थिति में शिथिलता का अधिकार दिया जाये।
  • सर्वर क्रैश होने पर वैकल्पिक व्यवस्था का स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किया जाए।
  • भेदभाव पूर्णं व शोषणकारी ऑनलाइन उपस्थिति की व्यवस्था को समाप्त कर अन्य विभागों की भांति ही उपस्थिति ली जाए।

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ प्राथमिक संवर्ग की जनपदीय इकाई द्वारा प्रदेशीय आह्वान पर जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंह चौहान के नेतृत्व में सैकड़ों शिक्ष्क – शिक्षिकाओं की मौजूदगी में डिजिटाइजेशन/ऑनलाइन उपस्थिति के विरोध में मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। जिला महामंत्री इलयास मंसूरी ने कहा कि महानिदेशक स्कूल शिक्षा द्वारा 8 जुलाई से पंजिकाओं का डिजिटाइजेशन/ऑनलाइन उपस्थिति देने का आदेश निर्गत किया गया है जो कि तुगलकी फरमान है।

विभागीय अधिकारी वातानुकूलित कक्ष में बैठकर बिना जमीनी हकीकत जाने ही इस प्रकार के अव्यवहारिक आदेश करते रहते हैं जिनमे आने वाली व्यवहारिक कठिनाइयों को दूर किए बिना उसको लागू करा पाना संभव ही नहीं है। प्रदेशीय मीडिया प्रभारी बृजेश श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेशीय नेतृत्व द्वारा कई बार महानिदेशक स्कूल शिक्षा को ज्ञापन सौंपकर डिजिटाइजेशन से जुड़ी मौलिक समस्याओं को दूर करने की मांग की गई तथा 14 मार्च 2024 को महानिदेशक स्कूल शिक्षा कार्यालय में धरना भी किया गया था। तब महानिदेशक द्वारा संगठन के प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया गया था कि डिजिटाइजेशन से जुड़ी मौलिक समस्याओं के निस्तारण के पश्चात ही इसे लागू किया जाएगा। किंतु मांगे पूरी नहीं की गई।

जिला संगठन मंत्री तनवीर अहमद ने कहा कि विभागीय अधिकारी दमन पूर्वक डिजिटाइजेशन/ऑनलाइन उपस्थिति व्यवस्था लागू करना चाहते हैं जिसका संगठन पुरजोर विरोध करता है। जिला उपाध्यक्ष रमाकांत त्रिपाठी ने कहा कि महासंघ विभागीय व सामाजिक दायित्वों के प्रति सजग रहकर छात्र हित व शिक्षा हित में इस आदेश का बहिष्कार कर रहा है। जब तक जायज मांगे पूरी नहीं हो जाती है तब तक ऑनलाइन उपस्थति/ डिजिटाइजेशन स्वीकार्य नहीं है। जिला संयुक्त महामंत्री अरविन्द स्वर्णकार ने कहा कि प्रमुख समस्याओं का समाधान किये बिना ही विभागीय अधिकारियों द्वारा भय का वातावरण बनाकर डिजिटाइजेशन /ऑनलाइन उपस्थिति (फेस रिकग्निशन) की व्यवस्था केवल बेसिक शिक्षा विभाग में ही लागू की जा रही है। इससे पूरे प्रदेश का शिक्षक समाज स्वयं को अपमानित एवं ठगा महसूस कर रहा है। शिक्षकों में शासन व विभाग के प्रति व्यापक आक्रोश है।

ज्ञापन सौंपने वालों में एडेड संवर्ग जिलाध्यक्ष उपेन्द्र शर्मा, महामंत्री अरविंद सिंह तोमर, कार्यकारी अध्यक्ष संजीव गुर्जर, बद्री झा, अय्यूब कुरैशी, मनोज बाथम, सरला कुशवाहा, राजा सिंह यादव, इनाम उल्ला अन्सारी, अशोक सिंह राजावत, अखिलेश कुमार खरे, दीपक कुमार, वेद व्यास, महेन्द्र श्रीवास्तव, ऋषि बुधौलिया, सलिल कान्त श्रीवास, सीमा सिंह, रियायत बेग, अखिलेश कुमार, अभिषेक पुरवार, सत्यपाल, विजय तिवारी, सारिक अंसारी, अरविंद निरंजन, विनय मिश्रा, रामराजा जादौन, राघवेंद्र यादव, अनुज भदौरिया, कपिल द्विवेदी, गौरव कांत श्रीवास, नितिन गुप्ता, कन्हैयालाल कुशवाहा, उमेश कुमार, विजयपाल सिंह, हरिमोहन यादव, इरशाद हुसैन, हिमांशु पुरवार, बृजभूषण सिंह, राघवेंद्र शर्मा, सुनील निरंजन, आशुतोष निरंजन, रूबी सिंह, कृष्ण गोपाल, आलोक गुप्ता, राजेश सक्सेना, आशीष, मालती टैगौर, कृष्णकुमार, स्नेहलता चतुर्वेदी, सीता यादव, सुनीता देवी, रिजवाना, नईमा बानो, आर्द्रा श्रीवास्तव, सरोज चौधरी, रानी देवी, सुरेश, पवन पटेल, सुरेश आदि शिक्षक शिषिकाएं मौजूद रहे।

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