कानपुर। चकेरी के कोयला नगर में रहने वाले बुजुर्ग दंपती के चेहरे पर आखिरकार नौ साल बाद मुस्कान लौट आई, जब उन्हें अपना घर पुनः मिल गया। वर्षों की पीड़ा, संघर्ष और उम्मीदों के बाद हाई कोर्ट के आदेश पर जिला प्रशासन और पुलिस ने पूरी कार्रवाई कर दंपती को उनके घर का कब्जा दिलाया।
सेवानिवृत्त केस्को कर्मचारी संतोष कुमार द्विवेदी और उनकी पत्नी निर्मला द्विवेदी के लिए यह दिन भावनाओं से भरा हुआ था। संतोष द्विवेदी ने बताया कि वह वर्ष 2010 में केस्को से सेवानिवृत्त हुए थे। परिवार में पत्नी, दो बेटे और एक बेटी थी। लेकिन बड़ा बेटा गलत संगत में पड़कर आपराधिक मामलों में चला गया, जिसका फायदा उठाते हुए बहू ने नौ साल पहले दंपती को घर से बाहर कर दिया।
उसके बाद से उनकी जिंदगी में संघर्ष ही बचा था—कभी बहनों के घर आसरा, कभी बेटी के घर शरण। लगातार भाग-दौड़ और बेघरपन ने उन्हें मानसिक रूप से तोड़ दिया। आखिरकार उन्होंने हाई कोर्ट में न्याय की गुहार लगाई।
कोर्ट ने बुजुर्ग दंपती की पीड़ा समझते हुए प्रशासन को घर में दोबारा प्रवेश दिलाने के कड़े निर्देश दिए। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने तुरंत पुलिस टीम को कार्रवाई का आदेश दिया।
सोमवार को चकेरी थाने की पुलिस और कोयला नगर चौकी की टीम बुजुर्ग दंपती को उनके घर लेकर पहुंची। इस दौरान बहू ने विरोध जताया और हंगामा करने की कोशिश की, लेकिन महिला पुलिस कर्मियों ने हाई कोर्ट का आदेश समझाते हुए स्थिति को नियंत्रित किया।
इसके बाद संतोष द्विवेदी और उनकी पत्नी को आधिकारिक रूप से उनके घर में प्रवेश दिलाया गया। घर की चौखट पर कदम रखते ही दोनों की आंखें नम हो गईं। संतोष द्विवेदी ने भावुक होकर कहा:
“सोचा था शायद यह दिन देखने से पहले हम ही चले जाएंगे, लेकिन आज हमें फिर से जीवन मिल गया है।”
पड़ोसियों ने भी इस मार्मिक पल को देखते हुए राहत और खुशी व्यक्त की। नौ वर्षों के संघर्ष के बाद मिला यह न्याय बुजुर्ग दंपती के लिए नई उम्मीद की किरण लेकर आया है। दंपती ने हाई कोर्ट और जिला प्रशासन का आभार जताया और कहा कि आज उन्हें सिर्फ घर नहीं, बल्कि फिर से जीने का सहारा मिल गया है।