जी हां आज हम बात करेंगे दिल्ली के देवली क्षेत्र के आम आदमी पार्टी के MLA की, जिन पर दुर्गापुरी में अपना क्लीनिक चला रहे डॉ राजेंद्र की खुदकुशी की वज़ह होने का संगीन आरोप है ! मौका ए वारदात पर मिले सबूत और डॉ राजेंद्र का सुसाइडल नोट इस बात की पूर्ण रूप से पुष्टि भी करता है ! मृतक ने अपने सुसाइड नोट में साफ साफ लिखा है किस प्रकार उनके टैंकर जो कि जल बोर्ड में लगे थे उन्हें हटाया गया सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि उनके लगभग एक साल से सारे बिल और पेमेंट भी पेंडिंग है उनके बार बार रिक्वेस्ट करने पर भी उनकी एक ना सुनी गई !
आप पार्टी के MLA प्रकाश जरेवाल और उनके सहकर्मी कपिल नागर की तरफ से लगातार उन पर पैसों का दवाब भी बनाया जा रहा था उन्हें तरह तरह की मानसिक रूप से तनाव दिया गया ! फिर एक रोज जब उनके विश्वास पात्र ने उन्हें बताया कि mla ने उनका पेमेंट ना देने के लिए कहा है और अब उनके टैंकर कभी नहीं लगेंगे तो लंबे समय से संघर्ष और रिक्वेस्ट कर रहे डॉ की हिम्मत और मनोबल टूट गया और अपने दुख को लगातार वो अपने डायरी में नोट कर रहे थे ! Mla द्वारा फोन पर धमकी भी दी जा रही थी कि तुम्हे परलोक सिधरवा दिया जाएगा !!
ऐसे में उनके अंदर एक दबाव और तनाव की स्थिति बनी हुई थी और तनाव का कारण लंबे समय से दिए गए झूठे आश्वासन भी थे , आश्वाशव उनके टैंकर लगवाने के और ऐसे आश्वाशन से मिले धोखे और दबाव ने उन्हें अंदर तक झंझोड दिया था शायद ! इसी कारण डॉ राजेंद्र ने अपने घर की पांचवीं मंजिल पर जाकर खुद को मौत के फंदे में झुला दिया ! अपने अथक प्रयास और बिजनेस को आगे बढ़ाने के सपने को भी सांसो के साथ दफ़न कर दिया ! साथ साथ सत्ताधारी की अनैतिक गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए आप MLA प्रकाश जारेवाल और उनके सहकर्मी कपिल नागर के दबाव को अपने सुसाइडल नोट द्वारा सबके सामने ला गए !
सत्ता में ये खेल बहुत पुराना है पर आम जनता के लिए गुर्जर समाज की शान समझे जाने वाले डॉ राजेंद्र का ना होना एक अत्यंत दर्द और विलाप का विषय है ! साथ ही ये एक सोचनीय प्रसंग भी है कि ऐसा क्या कारण रहा कि आम व्यक्ति जिसने हमेशा आप पार्टी का सहयोग किया और हमेशा उसके लिए तत्पर तैयार रहे है फिर भी उन्हें बार बार तंज़ मारे गए क्यूंकि वो रमेश बिधूड़ी का रिश्तेदार है उन्हें बार बार ये कह कर प्रताड़ित किया गया कि को वो बीजेपी का है !
क्या किसी का रिश्तेदार होना गुनाह है या इस बात की पुष्टि करता है कि आदमी किसी दूसरी पार्टी का नहीं हो सकता ! भारत विवधताओ का देश है यहां एक परिवार में होने के बाद भी लोग वोट अलग अलग पार्टी को देते है ! जबकि मृतक ने अपने लिखे सुसाइडल नोट में भी इस बात का ज़िक्र किया है कि किस तरह वो आप पार्टी के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित थे ! फिर ऐसी कौन सी वजह रही होंगी माननीय MlA के पास जो उनकी एक भी ना सुनी गई !
मृतक ने लिखा है कि उनके परिवार को उनके जाने के बाद आप विधायक प्रकाश जरेवाल और उनके साथियों से बचाया जाए!
सत्ता में कोई किसी का नहीं होता ये कहावत तो सुनी थी पर आम आदमी के गले पर पांव रखकर और पेट पर लात मारकर एक इंसान को बेबस करके मरने पर मजबूर करने का दृश्य भी सामने है ! आम आदमी पार्टी के प्रधान सेवक माननीय मुख्यमंत्री जी भ्रष्टचार हटाओ का नारा लेकर पूर्ण बहुमत के साथ दिल्ली में सरकार लेकर आए थे | वो और उनकी पार्टी पूरे मामले में चुप्पी साधे बैठी है !
यहां पर एक बात और बता देना ठीक है कि ये कोई पहला वाक़या नहीं जहां आम आदमी के कार्यकर्ता पर इस तरह का आरोप लगाया गया है इससे पूर्व ख़ुद माननीय मुख्यमंत्री केजरीवाल पर गजेन्द्र सिंह की खुद्खुशी का इल्ज़ाम उनके भाई विजेंद्र सिंह राजावत द्वारा लगाया गया था ! जबकि गजेन्द्र सिंह को रैली के लिए मनीष सिसोदिया द्वारा बुलवाया गया था ! गौरतलब बात ये है कि गजेन्द्र सिंह खुद आप के समर्थक थे !
देखना ये है कि ये दबाव और मौत का खेल आखिर कब और कहाँ खत्म होगा ! क्या ये अपने आप में पार्टी और उसकी अवधारणा पर एक प्रश्न चिन्ह नहीं है कि किस प्रकार इल्ज़ाम के कठघरे में खड़े होने के बावजूद भी सब अनदेखा किया जा रहा है !
किसी को विवश कर देना क्या अपराध के दायरे में नहीं आता ! सिर्फ बड़ा ओहदा होने के कारण अगर आम जनता के न्याय का गला घोट दिया जाए तो समझ लीजिए कि इंसानियत मर चुकी हैं ! एक जिम्मेदार नागरिक पूरी शिद्द्त के साथ अपने लिए पार्टी और नेता चुनता है और फिर अगर वही सत्ता और सत्ताधारी उन्हें जीने लायक ना छोडे तो इससे बड़ा विनाश और क्या हो सकता हैं !
यहां बहुत से प्रश्न अनुत्तरित है | जनता को न्याय और जवाब दोनों का इंतज़ार है ! इंतज़ार है एक बेकसूर परिवार को न्याय का जिनकी पलको के आंसू नहीं सूख रहे ! और इंतजार है उस शख्स की रुह को जिसने संघर्ष करते – करते जीवन त्याग दिया !
सूत्रों के हवाले से और परिवार से मिली जानकारी के आधार पर !
- सविता सिंह “सैवी”