कानपुर घाटमपुर विधानसभा में आगामी 3 नवंबर को उपचुनाव होना है। जिसको लेकर कलेक्ट्रेट परिसर में नामांकन का दौर शुरू हो गया है। जहां गुरुवार को सपा प्रत्याशी इंद्रजीत कोरी अपना नामांकन कराने पहुचे। इस दौरान समाजवादी पार्टी के कुछ कार्यकर्ता जबरन नामांकन कक्ष में दाखिल होने लगे जिसके चलते पुलिस बल ने उन्हें रोक दिया। जिसके बाद पुलिस बल और कार्यकर्ताओं में हल्की फुल्की धक्का मुक्की तक हो गई ।जिसके बाद प्रयतशी इंद्रजीत कोरी ने सभी कार्यकर्ताओं को शांत कराया।
वही घाटमपुर सीट में जिस प्रत्याशी पर सबकी निगाहें टिकी हुईं थी, आखिरकार उसका नाम खुलकर सामने आ ही गया। जिसको बीजेपी ने अपनी पार्टी से प्रत्याशी घोषित करते हुए चुनाव मैदान में उतार दिया है। जी हां भारतीय जनता पार्टी ने घाटमपुर क्षेत्र में रहने वाले उपेंद्र पासवान को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। उपेंद्र पासवान भारतीय जनता पार्टी में एक कार्यकर्ता के रूप में जुड़े हुए थे। जिनकी संघर्षशीलता और लगन को देते हुए प्रदेश सरकार ने बुंदेलखंड कानपुर क्षेत्र से अनसूचित जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष बनाकर जिम्मेदारी सौंप दी थी और अब घाटमपुर विधानसभा के उपचुनाव में प्रत्याशी घोषित करके सभी को चौका कर रख दिया है। जिसके बाद उपेंद्र पासवान ने अपने लाव लश्कर के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचकर नामांकन पर्चा दाखिल किया।
आरक्षित सीट है घाटमपुर
आपको बतातें चलेंकि कानपुर की घाटमपुर विधानसभा सीट बीजेपी के पाले में थी। जहां की विधायिका कमल रानी वरुण का कोरोना के चलते इलाज के दौरान निधन हो गया था। जिसके बाद इस विधान सभा को उप चुनाव के दायरे में आना पड़ा। लेकिन उपचुनाव में रिजर्व सीट के चलते सभी प्रत्याशी दलित समुदाय से हैं। वहीं हाथरस काण्ड को मुद्दा बनाकर दूसरी राजनैतिक पार्टियां बीजेपी को घेरने का काम कर रहीं हैं। अब देखना होगा कि भारतीय जनता पार्टी के विकास का नारा और हाथरस काण्ड के आक्रोश की आग किसका फायदा और किसको नुकसान पहुंचाती है। यह तो जनता का फैसला बताएगा।
- कौस्तुभ शंकर मिश्रा