नयी दिल्ली: छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी की दर सितंबर 2020 में घटकर दो प्रतिशत रह गयी है, जो राष्ट्रीय स्तर पर देश में बेरोजगारी की दर 6.8 प्रतिशत से काफी कम है। देश में शहरी क्षेत्रों में यह दर 7.9 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में 6.3 प्रतिशत रही।
सेन्टर फाॅर माॅनिटरिंग इंडियन इकानामी (सीएमआईई) की ओर से जारी बेरोजगारी दर के ताजा आंकड़ों के अनुसार बेरोजगारी की दर असम में 1.2 प्रतिशत के बाद छत्तीसगढ़ में सबसे कम दो प्रतिशत है, जो देश के बड़े और विकसित राज्यों से काफी कम है।
आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में बेरोजगारी की दर 15.3, दिल्ली में 12.2, बिहार में 11.9, हरियाणा में 19.1 , पंजाब में 9.6 , महाराष्ट्र में 4.5 , पश्चिम बंगाल में 9.3 , उत्तर प्रदेश में 4.2, झारखण्ड में 8.2 और ओडिशा में 2.1 प्रतिशत है।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से उठाये गये विभिन्न कदमों से राज्य में उद्योगों सहित कृषि क्षेत्र में गतिविधियां तेजी से संचालित हो रही हैं, जिससे यहां रोजगार के अवसर लगातार बढ़ रहे हैं और बेरोजगारी की दर में कमी दर्ज की जा रही है।
इससे पहले छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी की दर जून माह में 14.4 से घटकर जुलाई माह में नौ प्रतिशत के स्तर पर आ गयी थी। भूपेश बघेल सरकार द्वारा लिए गए फैसलों से कोरोना काल में भी राज्य में लोगों को आर्थिक गतिविधियों से जोड़कर रखा गया। यहां अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह से ही औद्योगिक गतिविधियां प्रारंभ हो गई थी।
लॉक डाउन के बाद बढ़ी है बेरोजगारी दर
वर्तमान में लगभग शत-प्रतिशत उद्योगों में कोरोना से रोकथाम और बचाव के साथ काम शुरू हो गया है।
अच्छी बारिश से राज्य में कृषि की गतिविधियों में तेजी आयी है। मनरेगा में अधिक से अधिक रोजगार मूलक कार्यों के संचालन और लघुवनोपज की खरीदी से प्रदेश में रोजगार के अवसर बढ़े। राजीव गांधी किसान न्याय योजना सहित किसान हितैषी योजनाओं तथा जनकल्याणकारी फैसलों से उत्साहजनक वातावरण बना है। अनलॉक होते ही छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था ने गति पकड़ी, जिसकी वजह से यहां जीएसटी कलेक्शन बढ़ा और ऑटोमोबाईल तथा कृषि सहित अन्य क्षेत्रों में तेजी आयी।