राजनीति की रोटी सेंकने का कोई मौका शायद ही नेता हाथ से जाने दें, ऐसा ही एक मौका उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश के बाद नेताओं में मिल गया है। कांवड यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली सभी दुकानों के मेन बोर्ड पर मालिकों के नाम अंकित करने के आदेश के बाद सपा ने सरकार पर निशाना साधा है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव ने कांवड़ियों को परोक्ष रूप से हिंसक बताते हुए माइक्रो ब्लॉगिंग साइट एक्स पर लिखा कि ”लोकसभा के चुनाव में अपनी पराजय से बौखलाई बीजेपी और आपसी झगड़े में फँसी बीजेपी सरकार प्रदेश को सांप्रदायिकता की आग में झोंकना चाहती है। नाम लिखी मुसलमानों की दुकानों की सुरक्षा का भी ख़तरा है और दुकानदारों की जान का भी। इसलिए सरकार के इस जालिमाना आदेश के बाद आशंका यही है की कांवड़ मार्ग पर ग़ैर हिंदू कोई दुकान नहीं लगायेंगे।संविधान को ख़त्म करने की मंशा पालने वाले लोग लगातार असंवैधानिक कार्य करके बाबासाहब अंबेडकर का अपमान कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के इस घोर असंवैधानिक आदेश का सर्वोच्च न्यायालय संज्ञान ले और इस पर तत्काल रोक लगाये।”
समाजवादी पार्टी के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव ने कावड़ यात्रा को लेकर सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाते हुए कहा है कि कावड़ यात्रा को लेकर योगी सरकार के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट संज्ञान लेकर इस असंवैधानिक आदेश पर रोक लगाए ।
राम गोपल की पोस्ट पर उठते सवाल
- दुकान पर मालिक का नाम लिखने से सांप्रदायिक हिंसा कैसे फैल सकती है ?
- राम गोपाल ने लिखा कि कांवड मार्ग पर गैर हिंदू दुकान नहीं लगायेगा। इस पर सवाल उठता है कि क्या कोई सरकारी आदेश है गैर हिंदुओं के लिये या सिर्फ मुसलमानों को भड़काने के उद्देश्य से यह बयान दिया गया ?
- क्या राम गोपाल यादव यह स्पष्ट कर सकते है कि नाम लिखी हुए मुसलमानों की दुकानों को किससे खतरा है? क्या राम गोपाल परोक्ष रूप से कांवडियों को हिंसक कहने का प्रयास कर रहे है ?
- नाम लिखने का सरकारी आदेश हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन सहित सभी धर्मों पर लागू होता है, ऐसे में रामगोपाल सिर्फ मुसलमानों को हिंसा का डर दिखा कर क्या दंगे फैलाने की कोशिश कर रहे है ?
- सरकारी आदेश में दुकान पर नाम लिखना सभी के लिए अनिवार्य है, जिसमें किसी भी प्रकार का जातिय, धार्मिक, लैंगिक या क्षेत्रीय भेदभाव नहीं किया गया है, फिर राम गोपाल यादव इस आदेश को असंवैधानिक और बाबा साहेब का अपमान करने वाला किस आधार पर बता रहे है? क्या यह बयान देकर समाजवादी पार्टी हिंसा को भड़काना चाहती है ?