सूरत :- कोरोना के लिए जीवन रक्षक दवा मानी जाने वाली दवा टॉसीलीजुमेब के नकली इंजेक्शन का जखीरा बरामद हुआ है। खाद्य एवं औषध विभाग ने सूरत में सोहेल इस्माइल के घर पर छापा मारकर 8 लाख की कीमत के नकली इंजेक्शन बरामद किये।
सरकार जीवनरक्षक दवाओं की कालाबाजारी को रोकने के लिए सतत मॉनिटरिंग कर रही है। खाध्य एवं औषध विभाग के आयुक्त डॉ एच जी कोशिया ने बताया कि विभाग की टीम ने टॉसीलीजुमेब के नकली इंजेक्शन का एक राज्यव्यापी नेटवर्क पकडा है।
सूरत में सोहेल इस्माइल ताई के घर पर छापा मारकर एक फिलींग मशीन, सिलिंग मशीन, कोडिंग मशीन, नकली द्रव्य पदार्थ, पैकिंग मैटेरियल व मिनी मशीन के साथ करीब 8 लाख की कीमत का माल व मशीनरी बरामद की है। कोशिया ने बताया कि सरकार कोरोना महामारी के काल में सभी को आवश्यक दवा व इंजेक्शन मिलते रहे उसके लिए सतत मॉनिटरिंग कर रही है।
डॉ कोशिया ने बताया कि अहमदाबाद के संजीवनी अस्पताल के डॉ देवांग शाह ने वहां भर्ती मरीज लताबेन बलदुआ को 400 मिलिग्रामका टॉसीलीजुमेब इंजेक्शन लिखा था।
मरीज के परिजन 250 मिलीग्राम का इंजेक्शन खरीदकर लेकर गये तो डॉ को शंका हुई तथा उसने आला अधिकारियों को इस संबंध में सूचित किया। परिजनों से पूछताछ की तो पता चला कि साबरमती में मां फार्मेसी से वे यह इंजेक्शन 1 लाख 35 हजार रु में बिना बिल के खरीदकर ले गये थे।
मा फार्मेसी पर छापा मारा गया तो वहां इंजेक्शन तो नहीं मिले लेकिन उसने बताया कि चांदखेडा में रहने वाले हर्ष भरत भाई ठाकोर से उसने 80 हजार रु में 4 बॉक्स खरीदे थे।
जब हर्ष से इस संबंध में पूछताछ की गई तो उसने बताया कि 70 हजार में उसने पालडी के हेप्पी केमिस्ट के मालिक निलेश लालीवाला से खरीदे थे। जब निलेश से पूछताछ हुई तो उसने बताया कि वह जरूरत पड़ने पर सूरत के सोहेल इस्माइल से मंगाते थे।
जिसके आधार पर सूरत में यह छापा मारा गया। लालीवाला ने ये भी बताया कि नेंड्रोलॉन डेकोनेएट 250 मिलीग्राम वाला इंजेक्शन कोरोना के टॉसीलीजुमेब से मिलता जुलता होने से उस पर टॉसीलीजुमेब का लेबल चिपकाकर भी मरीजों को बेचा जा रहा है।