लग्जरी लाइफ की चाहत में ‘भगवान’ से ‘हैवान’ बनी डॉ शाहीन, कानपुर में भी थी ब्लास्ट की तैयारी

कानपुर। जिन डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है, वैसी ही एक डॉक्टर पैसों के लालच में आकर हैवान बन गयी और हजारों लोगों की मौत की साजिश रचने लगी। दिल्ली ब्लास्ट के बाद एटीएसए, एनआईए और एसटीएफ छोटी से छोटी कड़ी मिलाकर वारदात का पूरी तरह खुलासा करने में जुट गई है।

यूपी के कानपुर, वाराणसी और लखनऊ में सुरक्षा एजेंसिया कई संदिग्ध लोगों पर शिकंजा कसे हैं। वहीं इस धमाके के जिम्मेदार डा. मुजम्मिल की प्रेमिका डॉ. शाहीन के पति आई सर्जन डॉ. हयात जफर भी बुधवार को मीडिया के सामने आकर चौंकाने वाले खुलासे भी किए हैं। डॉ. जफर हयात ने कहा है कि डॉ. शाहीन अति महत्वाकांक्षी थीं। उनके दो बच्चे भी है, इसके बाद भी डॉ. शाहीन यूरोप और आस्ट्रेलिया में जाकर खुले माहौल में जीना चाहती थीं। इसी वजह से परिवार में पति-पत्नी के बीच अक्सर विवाद होता था और यहीं विवाद तलाक की वजह बने।

डॉ. हयात जफर ने बताया कि अब उनका डॉ. शाहीन से कोई मतलब नहीं है, वे अपने दोनों बच्चों की परवरिश कर रहे हैं। नेत्र सर्जन डॉ. जफर हयात बताते हैं कि तलाक के बाद डॉ. शाहीन ने कभी पीछे मुड़कर न तो उनकी तरफ देखा और न ही उनके बच्चों के बारे में सोचा। तलाक के पहले ही वह डॉ. मुजम्मिल के संपर्क में आ चुकी थी और तलाक के बाद लग्जरी जीनव जीने के लिए वह मुजम्मिल के साथ ही रहने लगी। इसके बाद उसके तरह तरह के फोटो सामने आने लगे जो सभ्य समाज में पसंद नहीं किए जाते थे। कुछ तस्वीरों में वह बुलेट की बेल्ट बांधे तो किसी में हाईटेक वेपन लेकर वह दिखाई पड़ती थी।

डॉ. हयात के मुताबिक इसकी जानकारी उन्हें मिलती रहती थी लेकिन वो बिलकुल मतलब नहीं रखते थे लिहाजा वे इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते थे। उन्होने स्पष्ट किया कि दस साल से डॉ. शाहीन ने कभी परिवार की तरह मुड़ कर नहीं देखा और न फोन कर बच्चों के बारे में पूछा। बहावलपुर स्थित जैश-ए-मोहम्मद के टेरर कैंप में ट्रेनिंग ली थी। वह कानपुर और कनौज में रहने के दौरान कई बार लंबी छुट्टी लेकर गायब हो जाती थी। कभी कुछ बहाना तो कभी कुछ… इस बारे में न तो उनके पति डॉ. जफर हयात को जानकारी होती थी और न ही उनके साथ काम करने वाले सहकर्मियों को।

कानपुर में रहने के दौरान ही उसने स्लीपर सेल्स की टीम बनाना शुरू कर दिया था। आतंकी ट्रेनिंग कैंप के वीडियो दिखाकर जिसमें विशेष समुदाय को कमजोर और मजलूम और दूसरे समुदाय और सरकार को जुल्म करने वाला बताया गया है। वीडियो दिखाकर लोगों का माइंड वॉश करना और उनकी आर्थिक मदद कर अपने से जोड़ना ही डॉ. शाहीन की जिम्मेदारी थी।

कानपुर व आस पास के कई जिलों में फैलाना था नेटवर्क

जैश-ए-मोहम्मद का नेटवर्क कानपुर, फतेहपुर, प्रयागराज और लखनऊ समेत कई जिलों में विस्तारित करने की अहम जिम्मेदारी भी डॉ. शाहीन की थी। एटीएस को डॉ. शाहीन की तकरीरें भी मिली हैं। जिनमें तरह-तरह की मजहबी बातें बताई गई हैं। एलआईयू को जानकारी मिली है कि शहर के कुछ इलाकों में विशेष समुदाय की कुछ लड़कियां पढ़ाई कर रही हैं। इनको ऑलनाइन जिहादी एजुकेशन दी जा रही है। भले ही ये लड़कियाँ उच्च शिक्षा के लिए पढ़ाई कर रही हैं लेकिन इनके दिल-दिमाग में देश विरोधी जहर भरा जा रहा है।

कानपुर की बात की जाए तो कानपुर में डॉ. शाहीन भले ही इस समय स्लीपर सेल के सिंडिकेट को न हैंडिल कर रही हों लेकिन कानपुर के स्लीपर सेल की लेडी विंग उसके संपर्क में थी। लेडी विंग की इन्हीं देश के दुश्मनों की तलाश में एनआईए ने चमनगंज के नाला रोड पर बनी बस्ती में सुरागरसी की थी। सुबह 5 बजे तक ये अभियान लगातार जारी रहा। सूत्रों की माने तो कानपुर में भी ब्लास्ट करने की मंशा थी। इसकी जानकारी एनआईए और एटीएस ने भी दी है।

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