बहराइच :- जिला कृषि विज्ञान केन्द्र बहराइच के प्राध्यापक एवं प्रभारी अधिकारी डाॅ. एम.पी. सिंह ने बताया कि गरीब कल्याण रोजगार अभियान के अन्तर्गत प्रवासी श्रमिकों को रोजगार सृजन हेतु केन्द्र के सभागार 21 से 23 जुलाई 2020 तक आयोजित 03 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रथम दिन प्रवासी श्रमिकों को वर्मी कम्पोस्ट तथा वर्मी वाश उत्पादन तकनीक की जानकारी प्रदान की गयी।
प्रशिक्षण के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र, बहराइच के प्राध्यापक एवं प्रभारी अधिकारी डाॅ. एम.पी. सिंह ने प्रवासी श्रमिकों को केंचुआ खाद बनाने की तकनीकी जानकारी प्रदान की। डाॅ. सिंह ने वर्मी कम्पोस्ट 30 से 45 दिनों में बनकर तैयार हो जाती है।
डाॅ. सिंह ने बताया कि 5 वर्ग मीटर से 01 टन वर्मी कम्पोस्ट खाद का उत्पादन हो सकता है। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति वह 25 वर्ग मीटर में वर्मी कंपोस्ट उत्पादन कर रू. 7=00 पति किलो की दर से बिक्री कर रू. 35000=00 मासिक की आमदनी कर सकता है।
इसके अलावा केंचुआ बेचकर कर भी अतिरिक्त आय की जा सकती है। डाॅ. सिंह ने स्वरोज़गार के लिए वर्मी कम्पोस्ट व वर्मी वाश उपयोगी बताते हुए किसानों व प्रवासियों को प्रेरित किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उप निदेशक कृषि डाॅ. आर.के. सिंह ने विभागीय योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए कहाकि जरूरतमंद श्रमिकों को विभागीय योजनाओं से आच्छादित किया जायेगा।
डाॅ. शैलेंद्र सिंह ने वर्मी कंपोस्ट उत्पादन तकनीक, कार्यक्रम के समन्वयक डाॅ. उमेश बाबू वैज्ञानिक पादप प्रजनन ने वर्मी कम्पोस्ट में जैव उर्वरक जैसे एजेटोवेकटर, राइजोबियम, पीएसबी आदि मिलाकर प्रयोग करने से रासायनिक उर्वरकों के हानिकारक प्रभाव को कम किये।
जाने के तरीकों पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। वैज्ञानिक रेनू आर्य ने जैविक खाद का पोषन ।
रिपोर्ट गौरव शुक्ला