भूजल के गिरते स्तर और जनमानस में जल संपदा के महत्व के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से 16 जुलाई से 22 जुलाई तक भूजल सप्ताह मनाया जा रहा है। जल जीवन की सबसे मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है। उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लि. (यूपीएमआरसी) वर्षा जल संरक्षण के लिए पिट्स और रिसाइकल्ड वाटर के उपयोय जैसे प्रयासों से इस दिशा में व्यापक स्तर पर कार्य कर रहा है। आइये जानते हैं कि यूपीएमआरसी ने कानपुर में जल संरक्षण के लिए क्या खास इंतज़ाम किए हैंः
कानपुर मेट्रो में होगी लगभग 24 लाख लीटर वर्षा जल संरक्षण की क्षमताः
कानपुर मेट्रो के दोनों कॉरिडोर के स्टेशनों, मेट्रो डिपो और 32.4 किमी. लंबे वायडक्ट को मिलाकर लगभग 24 लाख लीटर तक जल संरक्षण की क्षमता विकसित करेगा। वर्षा जल के संरक्षण के लिए मेट्रो द्वारा सभी ज़रूरी इंतज़ाम किए जा रहे हैं। वायडक्ट में हर दूसरे स्पैन पर पानी को नीचे मीडियन में लगे पिट तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। कॉरिडोर -1 (आईआईटी से नौबस्ता) के अंतर्गत लगभग 250 पिट जल संरक्षण के लिए तैयार होंगे।
कानपुर मेट्रो डिपो जीरो डिस्चार्ज फैसिलिटी के अनुरूपः
कानपुर मेट्रो डिपो ’जीरो डिस्चार्ज फैसिलिटी’ के तौर पर काम कर रहा है। इसके परिसर से कोई अपशिष्ट जल नहीं छोड़ा जाता है। इसका अर्थ है, यहाँ उत्पन्न होने वाले वेस्ट वॉटर को निस्तारित या डिस्चार्ज नहीं किया जाता बल्कि इसे पूरी तरह से रीसाइकल करके विभिन्न कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है।
डिपो में दो अलग-अलग ट्रीटमेंट प्लान्ट लगे हैं। पहला, ग्रे वॉटर यानी किचन, वॉशरूम और फ़्लोर क्लीनिंग आदि से निकलने वाले पानी को रीसाइकल करने के लिए 10 हजार लीटर प्रतिदिन की क्षमता का सीवेज ट्रीटमेंट प्लान्ट (एसटीपी)। और दूसरा, ऑटोमैटिक वॉश प्लान्ट में ट्रेनों की सफ़ाई और मेंटेनेंस शेड में ट्रेनों की मरम्मत आदि से निकलने वाले केमिकल युक्त वेस्ट वॉटर (ब्लैक वॉटर) को रीसाइकल करने के लिए 70 हजार लीटर प्रतिदिन की क्षमता का एफ़्ल्यूएन्ट ट्रीटमेंट प्लान्ट (ईटीपी)।
मेट्रो परिसरों में पानी की बर्बादी रोकने के लिए कुशल जल व्यवस्थाः
यूपीएमआरसी पानी की बर्बादी को कम करके पानी की हर बूंद का ख्याल रख रहा है। इसके लिए अपशिष्ट जल को साफ कर, इसे डिपो और वियाडक्ट अनुभाग में बागवानी के लिए पुनः उपयोग किया जा रहा है। कानपुर मेट्रो स्टेशनों पर उपयोग किए जाने वाले जल संबंधी उपकरण जैसे पेयजल और शौचालयों में प्रयुक्त नल आदि, पारंपरिक जल फिक्स्चर की तुलना में 30-40 प्रतिशत अधिक कुशल हैं। इससे उम्मीद है कि ये स्टेशन हर साल लाखों लीटर पानी बचाने में सक्षम होंगे।