कुंभराज (गुना- मध्य प्रदेश) :- मामला दरसअल ये है कि 15 जून को प्रसूता परवीन बानो को उसके पति नईम पठान व अन्य परिजनों को ग्वालियर या भोपाल ले जाने की सलाह देते हुए ड्यूटी डॉक्टर ने कहा कि यदि वह प्रसूता को और समय गुना में रखेंगे तो प्रसूता अपनी जान से हाथ धो बैठेगी।
जिसके तुरंत बाद हालत बिगड़ती देख परिजनों ने प्रसूता को एक निजी चिकित्सालय में भर्ती कराया जहां कुछ ही समय बाद उसे नॉर्मल डिलीवरी हो गई। इस तरह एक बार फिर जिला चिकित्सालय प्रसूति वार्ड के डॉक्टरों की लापरवाही सामने आई है।
हालांकि प्रसूता के परिजनों ने सिजेरियन डिलीवरी के लिए भी हां कर दिया था। और जिला चिकित्सालय में प्रसूता को दो बोतल खून भी चढ़ा दिया गया था। लेकिन अचानक प्रसूता का ब्लड प्रेशर बढ़ने की बात कहकर ड्यूटी पर उपस्थित डॉ आराधना विजयवर्गीय व उनके सहयोगी डॉक्टरों ने यह कहते हुए। कि यदि प्रसूता को और देर यहाँ रखा गया तो उसकी जान जा सकती है, अपने हाथ खड़े कर लिए।
जिसके बाद आनन-फानन में ग्वालियर के लिए प्रसूता को एक एंबुलेंस उपलब्ध कराई गई। जब प्रसूता एंबुलेंस में पहुंची तो उन्हें जानकारी मिली कि यह एंबुलेंस तो किसी और के लिए आई है। उनके लिए जो एंबुलेंस आनी है। उसमें अभी समय लगेगा, ऐसे में प्रसूता की हालत बिगड़ते हुए देखते हुए परिजनों ने तुरंत प्रसूता को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया जहां उसकी नॉर्मल डिलीवरी हो गई।
समझ से परे है कि लगातार इस तरह के मामले जिला चिकित्सालय वार्ड में सामने आते हैं। कि जहां पर प्रसूता के ऑपरेशन की बात कही जाती है जबकि वहां से किसी निजी अस्पताल में ले जाने के बाद नार्मल डिलीवरी हो जाती है।
साथ ही ऑपरेशन का भी मना कर देने के बाद ग्वालियर या भोपाल भेजने के नाम पर प्रसूता व उसके परिजनों को आए दिन परेशान किया जाता है। जबकि ग्वालियर भोपाल ना ले जाने की स्थिति में भी उनके यहीं पर सुरक्षित डिलीवरी हो ही जाती है।
लगातार देखने में आता है कि विभिन्न मरीजों व उनके परिजनों द्वारा जिला चिकित्सालय में ड्यूटी पर प्रसूति वार्ड में ड्यूटी पर उपस्थित डॉक्टरों के ऊपर आए दिन कई तरह के गंभीर आरोप लगाए जाते हैं। लेकिन हर बार स्वास्थ्य विभाग डॉक्टरों की कमी होने की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ते हुए इन जिम्मेदार डॉक्टरों पर कार्यवाही करने से गुरेज करता है।
लंबे समय से हम देखते आ रहे हैं कि कई प्रसूताओं ने डॉक्टरों की अनदेखी के चलते यहां पर जान गंवाई है। कई नवजातों ने भी दुनिया देखने से पहले ही अपनी आंखें इस जिला चिकित्सालय में बंद कर ली है। जिसके बाद हंगामे भी हुए पथराव भी हुए, अस्पतालों में तोड़फोड़ भी हुई, आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी चला लेकिन डॉक्टर पर कार्यवाही के नाम पर आज तक पीड़ित पक्षों के हाथ खाली ही हैं।
वहीं हाल ही में हुई इस घटना ने एक बार फिर प्रसूति वार्ड के डॉक्टरों व स्टाफ को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है।
रिपोर्ट इदरीस मंसूरी