उदयपुरा :- शहर की सड़कों पर मवेशियों का डेरा है,जो कभी खुद चोटिल हो रहे हैं,तो कभी दूसरों के लिए हादसों का सबब बन रहे हैं।अब सवाल उठता है कि इसमें दोष किसका है।
इसकी पड़ताल की गई, तो मालूम हुआ कि समस्या की मूल जड़ पशुपालक हैं,जिन्होंने गाय को सड़कों पर अपने हाल पर छोड़ दिया है।जब तक दूध दिया,तब तक घर में रखा और जैसे ही दूध देना छोड़ा,तो घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया। और हद तो तब हो रही है जब इन पशुपालकों पर प्रशासन की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की जा रही।
हमारे संवाददाता आशीष रजक ने जब शहर के जागरुक और सामाजिक लोगों से चर्चा की,तो समस्या की मूल जड़ में पशुपालक ही रहे। हालांकि, इसके साथ ही समस्या के समाधान के कई उपाए भी सामने आए। कुछ लोगों का कहना है।
कि हिंदु संगठनों के साथ सभी पार्टियों को मिलकर जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है ना की गायों पर राजनीति करने की।सोशल साइट और बयानबाजी से कुछ नहीं होने वाला है। पशुपालकों को भी समझना होगा कि गाय पाल रहे हैं,तो बोझ भी न समझें।
क्योंकि जब तक दूध दिया, तब तक रखा फिर सड़कों पर अपने हाल पर छोड़ दिया। इसके अलावा सरकार को भी ऐसी व्यवस्था करना होगी कि आठ-दस गांवों को मिलाकर कुछ गौशाला खोली जाए।इससे गांव के मवेशी शहर में नहीं आएंगे।
प्रश्न बड़ा सिंपल है कि क्या लोगों का प्यार केवल दूध और मृत गायों से ही है जिंदा भूखी गायों के लिए अभी तक कोई भी संगठन सामने नहीं आया आखिर क्यों? और ना ही प्रशासन की तरफ से कोई व्यवस्था की गई है।
नगर पंचायत सीएमओ संजय दीक्षित का कहना है कि
नगर पंचायत में कानी हाउस की सुविधा ना होने के कारण नगर की सड़कों पर मवेशियों का जमावड़ा लगा हुआ है। यदि शासन प्रशासन की ओर से कोई दिशानिर्देश आते हैं तो हम कोई ठोस कदम उठाएंगे।
रिपोर्ट आशीष रजक