कानपुर। साहित्य समाज का आइना है, अक्सर हम यह जुमला सुनते रहते हैं । समाज में अलग अलग वर्ग, तबके, हैसियत और रंग-रूप के लोग मिलते हैं और लगभग सभी पर कुछ न कुछ लिखा ही जाता रहा है । विगत कुछ समय से साहित्यकारों ने समाज के कुछ ऐसे हिस्सों के बारे में लिखना शुरू किया है जो वैसे हैं तो इस समाज का ही हिस्सा, पर फिर भी कटा हुआ…। इसी दायरे में आता है श्री हरभजन सिंह मेहरोत्रा का किन्नर विमर्श पर लिखा उपन्यास- ऐ ज़िन्दगी तुझे सलाम- ।
किन्नरों के बाहरी आवरण को हटा के उनके भीतर के इंसान, उसकी अच्छाई-बुराई और जीवन की विभिन्न आयामों को पाठको के सामने रखने वाले इस उपन्यास पर आज साहित्यिक संस्था ‘यथार्थ’ की ओर से एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता के तौर पर बरेली के डॉ नितिन सेठी जी ने अपना गहन-गंभीर आलेख पढ़ा ।
इस उपन्यास और उस पर केंद्रित आलेख पर हुई चर्चा में मुख्य रूप से बरेली के ही श्री शराफ़त अली खान, रानी शबाना और गिरिजा भारती, ग्वालियर से सुश्री गिरिजा कुलश्रेष्ठ, पुणे से संजय भारद्वाज, कानपुर से अनिल कुमार माथुर, शशि श्रीवास्तव, मीना पाठक , सीमा सिंह, प्रेम गुप्ता ‘मानी’, प्रियंका गुप्ता और हरभजन सिंह मेहरोत्रा आदि ने पूरे उत्साह से भाग लिया । गोष्ठी का संचालन प्रियंका गुप्ता और आभार प्रेम गुप्ता ‘ मानी’ ने किया।