भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर, अंतर-विश्वविद्यालय खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी केंद्र (IUCAA) पुणे और अशोका विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की एक टीम ने भारत की पहली खगोलीय वेधशाला, एस्ट्रोसैट से प्राप्त डेटा का उपयोग करके एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित इस शोध से ब्रह्मांड में सबसे सघन पिंडों में से कुछ न्यूट्रॉन तारों की आंतरिक संरचना के बारे में नई जानकारी मिली है।
न्यूट्रॉन तारे विशाल तारों के ढहे हुए कोर से बनते हैं और सूर्य के द्रव्यमान से भी अधिक द्रव्यमान को मात्र 10 किलोमीटर चौड़े गोले में समेट लेते हैं। यह अत्यधिक घनत्व एक शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र बनाता है और तारे के भीतर दबाव और घनत्व के बीच संबंध को जटिल, अनसुलझे, समीकरण की ओर ले जाता है।
शोध दल ने भारतीय इंजीनियरिंग के घरेलू स्तर पर विकसित एवं उन्नत एस्ट्रोसैट के LAXPC उपकरण से प्राप्त डेटा का उपयोग बाइनरी स्टार सिस्टम 4U 1728-34 द्वारा उत्सर्जित एक्स-रे का अध्ययन करने के लिए किया। इस सिस्टम में एक न्यूट्रॉन तारा शामिल है जो एक साथी तारे से पदार्थ को एकत्रित करता है।
शोधकर्ताओं ने बाइनरी स्टार सिस्टम 4U 1728-34 से एक्स-रे डेटा का विश्लेषण किया और कई ऐसे मामले पाए जिनमें QPO ट्रिपल देखे गए। उन्होंने पाया कि इन QPO ट्रिपल की आवृत्तियाँ स्थिर नहीं रहती हैं; बल्कि, वे समय के साथ लगातार विकसित होती हैं, एक दूसरे के साथ एक विशिष्ट संबंध बनाए रखती हैं। इस संबंध का उपयोग करते हुए, उन्होंने पाया कि देखे गए QPO को आइंस्टीन के सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत (GTR) द्वारा भविष्यवाणी किए गए तीन दोलनों के संदर्भ में सबसे अच्छी तरह से व्याख्या किया जाता है, यानी, कक्षीय गति, पेरिहेलियन का पूर्वगमन और लेंस-थिरिंग पूर्वगमन।
इसके अलावा, उन्होंने पाया कि देखे गए संबंध का न्यूट्रॉन तारे के द्रव्यमान, जड़त्व आघूर्ण और अवस्था समीकरण पर संवेदनशील निर्भरता है। इसलिए, इसका उपयोग इन मापदंडों की अधिक विस्तार से जांच करने के लिए किया जा सकता है, जो पहले संभव नहीं था।
शोध दल में केवल आनंद (पीएचडी स्कॉलर, आईआईटी कानपुर), रंजीव मिश्रा (वरिष्ठ प्रोफेसर, आईयूसीएए), जे.एस. यादव (विजिटिंग प्रोफेसर, आईआईटी कानपुर; सेवानिवृत्त प्रोफेसर, टीआईएफआर मुंबई; एस्ट्रोसैट पर पूर्व पीआई एलएएक्सपीसी), पंकज जैन (प्रोफेसर, आईआईटी कानपुर; एसपीएएसई (SPASE) विभाग के प्रमुख, आईआईटी कानपुर), उमंग कुमार (पीएचडी स्कॉलर, अशोका विश्वविद्यालय) और दीपांकर भट्टाचार्य (प्रोफेसर और भौतिकी विभाग के प्रमुख, अशोका विश्वविद्यालय; पूर्व वरिष्ठ प्रोफेसर, आईयूसीएए) शामिल हैं।
आईआईटी कानपुर में एसपीएएसई (SPASE) विभाग के प्रमुख पंकज जैन ने निष्कर्षों पर टिप्पणी करते हुए कहा: “यह खोज न्यूट्रॉन तारों के बारे में हमारी समझ को आगे बढ़ाती है और इक्स्ट्रीम एनविरोमेन्ट में भौतिकी के मौलिक सिद्धांतों की खोज के लिए नए रास्ते भी खोलती है। इस अध्ययन से प्राप्त अंतर्दृष्टि का खगोल भौतिकी और संबंधित क्षेत्रों पर स्थायी प्रभाव पड़ेगा।”
यह अध्ययन इन आकर्षक खगोलीय पिंडों और ब्रह्मांड को नियंत्रित करने वाले मौलिक नियमों की गहन समझ का मार्ग प्रशस्त करता है।
प्रकाशित पेपर : https://doi.org/10.3847/1538-4357/ad410c