भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के भौतिकी विभाग ने आधुनिक विज्ञान के इतिहास की सबसे बेहतरीन उपलब्धियों में से एक—क्वांटम मेकैनिक्स के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया। यह कार्यक्रम संस्थान के लेक्चर हॉल (L-17) में आयोजित हुआ, जिसमें भौतिकी विभाग के प्रोफेसर मनोज के. हरबोला ने “क्वांटम मेकैनिक्स के 100 साल (1925–2025): 1925 में क्या हुआ?” विषय पर व्याख्यान दिया। कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के अध्यापकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
क्वांटम विचार की उत्पत्ति की झलक
प्रो. हरबोला ने अपने व्याख्यान की शुरुआत 1900 में मैक्स प्लैंक द्वारा प्रस्तुत ऊर्जा के क्वांटाइजेशन (quantization) के विचार से की, जिसने आधुनिक भौतिकी की नींव रखी। उन्होंने आगे बताया कि अल्बर्ट आइंस्टीन ने 1905 में प्रकाश के क्वांटीकरण का सिद्धांत दिया, जबकि नील्स बोहर ने 1913 में हाइड्रोजन परमाणु मॉडल के माध्यम से परमाणु की ऊर्जा स्तरों को सफलतापूर्वक समझाया। साथ ही उन्होंने भारतीय वैज्ञानिक जैसे मेघनद साहा और सत्येन्द्र नाथ बोस के योगदानों पर भी प्रकाश डाला, जिनके कार्यों ने खगोलभौतिकी और सांख्यिकीय मेकैनिक्स में क्वांटम सिद्धांत को नई दिशा दी।
हाइजेनबर्ग की खोज
व्याख्यान के मुख्य भाग में प्रो. हरबोला ने वर्नर हाइजेनबर्ग के 1925 के शोध-पत्र की चर्चा की, जिसे आधुनिक क्वांटम यांत्रिकी की वास्तविक शुरुआत माना जाता है। उन्होंने बताया कि हाइजेनबर्ग ने पारंपरिक भौतिकी विचार को छोड़कर केवल प्रेक्षणीय (observable) क्वांटिटी—जैसे कि विकिरण की आवृत्ति और आयाम—के आधार पर सिद्धांत को पुनः परिभाषित किया।
इसी कार्य से मैट्रिक्स मेकैनिक्स (Matrix Mechanics) की उत्पत्ति हुई, जिसने मैट्रिक्स मेकैनिक्स को समझने के हमारे तरीकों को पूरी तरह बदल दिया। यह वही आधार बना जिस पर बाद में बॉर्न, जॉर्डन, श्रोडिंगर और डिरॅक ने आधुनिक भौतिकी की नींव मजबूत की, जिसे सेमीकंडक्टर और लेज़रों से लेकर क्वांटम गणना और कण सिद्धांत तक, हर चीज़ प्रभावित हुए।
विज्ञान में सौ वर्षों का परिवर्तन
क्वांटम मेकैनिक्स के 100 वर्ष पूरे होने के विचार पर बात करते हुए प्रो. हरबोला ने कहा, “हाइजेनबर्ग का 1925 का कार्य मानव इतिहास में रचनात्मकता और तार्किक सोच का एक अद्भुत उदाहरण है। यही वह क्षण था जब भौतिकी ने शास्त्रीय से क्वांटम दुनिया की ओर कदम बढ़ाया। उन्होंने यह भी कहा कि क्वांटम मेकैनिक्स केवल एक सैद्धांतिक अवधारणा नहीं, बल्कि एक ऐसा ढांचा है जिसने तकनीक, दर्शन और हमारी वास्तविकता की समझ को गहराई से प्रभावित किया है”।