दिल्ली की एक अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज समन का पालन न करने के मामले में शनिवार को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नोटिस जारी किया।आरोपी के वकील ने अपने तर्कों में एक निर्णय का हवाला दिया कि धारा 251 सीआरपीसी में निहित यह अदालत का कर्तव्य है कि वह आरोप/नोटिस तय करने से पहले आरोपपत्र का अध्ययन करे और यदि मामला साबित न हो तो आरोप मुक्त कर दे। उन्होंने तर्क दिया कि आरोप का नोटिस तैयार करने से पहले इस अदालत को खुद को संतुष्ट करना होगा कि आरोपित अपराध के सभी तत्व यानी धारा 174 आईपीसी के तहत साबित होते हैं या नहीं।
वकील ने आगे कहा कि धारा 174 आईपीसी के तहत समन, नोटिस आदि जारी करने के लिए लोक सेवक की ‘कानूनी क्षमता’ की आवश्यकता होती है और वर्तमान मामले के तथ्यों में शिकायतकर्ता पक्ष ने प्रथम दृष्टया यह दिखाने के लिए कोई सामग्री प्रस्तुत नहीं की है कि शिकायतकर्ता भले ही एक लोक सेवक था के पास आरोपी को नोटिस जारी करने की कानूनी क्षमता थी।
ईडी के वकील ने कहा कि इस स्तर पर मजिस्ट्रेट को बरी करने की शक्ति के बारे में कानूनी सवाल सर्वोच्च न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले पर निर्भर है और कहा गया है कि इन चुनौतियों पर सुनवाई के दौरान विचार किया जाना चाहिए और लोक सेवक की कानूनी क्षमता धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के प्रावधानों से ली गई है।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) पारस दलाल ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा, ‘आईपीसी की धारा 174 के तहत किसी भी कानूनी रूप से सक्षम लोक सेवक से जारी समन, नोटिस, आदेश या उद्घोषणा के पालन में किसी स्थान या समय पर उपस्थित होने के लिए जानबूझकर चूक करने की मंशा की आवश्यकता होती है जिसमें अपेक्षित व्यक्ति कानूनी रूप से उपस्थित होने के लिए बाध्य होता है। चूक होने पर एक्टस रीस पूरा हो जाता है।’ ईडी के वकील ने आगे आरोप लगाया कि आरोपी को ये समन विधिवत रूप से दिए गए थे लेकिन वह इसका पालन करने में विफल रहा और इस तरह जानबूझकर चूक गया।
शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि धारा 50 पीएमएल अधिनियम के तहत आईओ द्वारा समन किए जाने पर कोई भी व्यक्ति कानूनी रूप से उपस्थित होने के लिए बाध्य है।अदालत ने कहा, ‘शिकायत में लगाए गए आरोपों पर विचार करते हुए इस अदालत को आरोपी के खिलाफ धारा 174 आईपीसी के तहत नोटिस तैयार करने के लिए पर्याप्त सामग्री मिली है। इस स्तर पर इस अदालत को न तो लगाए गए आरोपों की सत्यता पर विचार करना है और न ही यह देखना है कि आरोप सिद्ध होते हैं या नहीं। मुकदमे की कार्यवाही के लिए केवल पर्याप्त सामग्री की आवश्यकता है।’
न्यायालय ने कहा, ‘आरोपी के विरुद्ध धारा 174 आईपीसी के तहत दंडनीय अपराध के लिए धारा 251 सीआरपीसी के तहत आरोप की सूचना तैयार की गई है जिसमें उसने खुद को निर्दोष बताया है तथा मुकदमे की मांग की है। आरोपी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश हुआ है हालांकि आरोपी के वकील जिसका वकालतनामा रिकॉर्ड में है, शारीरिक रूप से पेश हो रहे हैं तथा उन्होंने आरोपी की ओर से आरोप की सूचना स्वीकार कर ली है। आरोपी की दलील को आरोप की सूचना में दर्ज किया गया है तथा उक्त सूचना पर आरोपी के वकील ने उसकी ओर से हस्ताक्षर किए हैं।’न्यायालय ने कहा कि ‘मामला अब 10.01.2025 को सुबह 10:30 बजे सीई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।’