टैरिफ बम को लेकर अमेरिका से लेकर पूरी दुनिया में अपनी फजीहत करवाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति को फिर एक बार वैश्विक स्तर पर बेइज्जती का सामना करना पड़ा है। इस बार ट्रंप की अफगानिस्तान को लेकर रणनीति फेल हो गयी है, मुद्दा है, बगराम एयरबेस. तालिबान सरकार ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस मांग को पूरी तरह खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने बगराम एयरबेस को फिर से अमेरिका को सौंपे जाने की बात कही थी. तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने साफ शब्दों में कहा है कि “अफगान जमीन किसी भी कीमत पर किसी और देश को नहीं दी जाएगी.”यह बयान ऐसे समय आया है जब डोनाल्ड ट्रंप ने बगराम एयरबेस को फिर से अमेरिका के नियंत्रण में लेने की बात करते हुए चेतावनी दी थी. उन्होंने इसे अमेरिका की रणनीतिक जरूरत बताया, खासतौर पर चीन और मध्य एशिया के बढ़ते प्रभाव के मद्देनज़र.
तालिबान और अमेरिका के बीच बातचीत जारी
हालांकि, बयानबाज़ी के बीच यह भी सामने आया है कि तालिबान और अमेरिका के बीच कुछ स्तर पर राजनयिक संबंधों की बहाली को लेकर बातचीत चल रही है. जबीहुल्लाह मुजाहिद ने बताया कि दोनों देशों ने वाशिंगटन और काबुल में अपने-अपने दूतावास दोबारा खोलने पर चर्चा की है, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट किया कि बगराम एयरबेस अफगान संप्रभुता का प्रतीक है, और इसे सौंपने का सवाल ही नहीं उठता.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता अब भी अधूरी
तालिबान सरकार को सत्ता में आए चार साल हो चुके हैं, लेकिन अब तक केवल रूस ने औपचारिक रूप से उसकी सरकार को मान्यता दी है. बाकी दुनिया अब भी तालिबान की नीतियों, खासकर महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों पर उनकी कठोरता को लेकर चिंतित है.
हाल ही में, अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) ने तालिबान सुप्रीम लीडर हिबतुल्लाह अखुंदजादा और अन्य दो वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ महिला उत्पीड़न को लेकर गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं.
बगराम एयरबेस की रणनीतिक अहमियत
बगराम एयरबेस, जो कभी अमेरिका और नाटो सेनाओं का मुख्य ठिकाना था, काबुल से लगभग 70 किलोमीटर उत्तर में स्थित है. यहाँ से आतंकवाद विरोधी अभियानों को संचालित किया जाता था. 2021 में अमेरिका की वापसी के बाद यह पूरी तरह तालिबान के कब्ज़े में चला गया.
अब तालिबान ने यह साफ कर दिया है कि बगराम एयरबेस को कभी भी अमेरिका के हवाले नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह न केवल एक सैन्य संपत्ति, बल्कि अफगानिस्तान की स्वतंत्रता और आत्मनिर्णय का प्रतीक है.
भारत ने भी साधा अमेरिका पर निशाना
भारत भी ट्रंप की योजना का विरोध करने में शामिल हो गई है। भारत ने कहा है कि सुरक्षित, शांतिपूर्ण और स्थिर अफ़ग़ानिस्तान उसके लोगों तथा वैश्विक सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। रूस में आयोजित अफ़ग़ानिस्तान पर सातवें मॉस्को प्रारूप परामर्श के दौरान भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे राजदूत विनय कुमार ने यह बात कही।
भारत, रूस, चीन, ईरान और मध्य एशियाई देशों ने इसमें भाग लिया। विनय कुमार ने कहा कि भारत अफ़ग़ानिस्तान की स्वतंत्रता, शांति और सामाजिक-आर्थिक विकास का समर्थन करता है। विदेश मंत्री अमीर खान मोत्ताकी के नेतृत्व में अफ़ग़ान प्रतिनिधिमंडल ने पहली बार पूर्ण सदस्य के रूप में भाग लिया। प्रतिभागियों ने अफ़ग़ानिस्तान में विदेशी सैन्य ढाँचे की तैनाती का विरोध व्यक्त किया। उन्होंने क्षेत्रीय सहयोग, आर्थिक एकीकरण और मज़बूत आतंकवाद-रोधी प्रयासों पर भी ज़ोर दिया ताकि अफ़ग़ानिस्तान अपने पड़ोसियों या वैश्विक शांति के लिए ख़तरा न बने।