एकादशी की तिथि और व्रत को श्रेष्ठ माना गया है। नवंबर महीने यानि कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को देवोत्थान, देवउठनी और प्रबोधिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है।
देवउठनी एकादशी दिवाली के पर्व के बाद आती है इस एकादशी का विशेष महत्व है इस एकादशी की तिथि पर भगवान विष्णु जागृत होते हैं यानि वे शयन काल को पूर्ण करते हैं और पुन: पृथ्वी की बागडोर अपने हाथों में ले लेते हैं।
भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयन करते हैं, इस दिन से ही चातुर्मास आरंभ होते हैं इस बार 1 जुलाई से चातुर्मास आरंभ हुए थे कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन भगवान विष्णु के उठते ही चातुर्मास का समापन हो जाएगा।
पौराणिम मान्यता अनुसार देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में 4 माह के बाद जागते हैं जब भगवान विष्णु पाताल लोक में विश्रमा करने के लिए चले जाते हैं तो सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है इस दौरान शादी विवाह जैसे आयोजन नहीं किए जाते हैं देवोत्थान एकादशी पर भगवान विष्णु के जागने के बाद सभी प्रकार के मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं।
एकादशी व्रत की विधि
देवउठनी एकादशी पर सुबह उठकर स्नान करें और इसके बाद एकादशी व्रत का संकल्प लेंकर पूजा आरंभ करनी चाहिए इस दिन घर के आंगन में भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनानी चाहिए प्रसाद के रूप में कार्तिक मास में उत्पन्न होने वाले फलों का प्रयोग करना चाहिए पूजा की थाल में फल, मिठाई, बेर, सिंघाड़े और गन्ना सजाकर भगवान भोग लगाना चाहिए देवउठनी एकादशी की पूजा विभिन्न प्रकार से की जाती है लेकिन इस पूजा में नियम और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए इस दिन तुलसी विवाह भी कराया जाता है।
देवउठनी एकादशी का शुभ मुहूर्त
देवउठनी एकादशी व्रत 25 नवंबर 2020 को बुधवार के दिन पड़ रही है, एकादशी तिथि 25 नवंबर को 02:42 बजे से आरंभ होगी और 26 नवंबर, 2020 को शाम 05:10 पर समाप्त होगी।
देवउठनी एकादशी को क्या न करें?
एकादशी पर किसी भी पेड़-पौधों की पत्तियों को नहीं तोड़ना चाहिए।
एकादशी वाले दिन पर बाल और नाखून नहीं कटवाने चाहिए।
एकादशी वाले दिन पर संयम और सरल जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। इस दिन कम से कम बोलने की किसी कोशिश करनी चाहिए और भूल से भी किसी को कड़वी बातें नहीं बोलनी चाहिए।
हिंदू शास्त्रों में एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
एकादशी वाले दिन पर किसी अन्य के द्वारा दिया गया भोजन नहीं करना चाहिए।
एकादशी पर मन में किसी के प्रति विकार नहीं उत्पन्न करना चाहिए ।
इस तिथि पर गोभी, पालक, शलजम आदि का सेवन न करें।
देवउठनी एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए।
देवउठनी एकादशी व्रत में क्या करें?
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने दीपक अवश्य जलाना चाहिए।
देवउठनी एकादशी के दिन आपको सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए।
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के नाम का कीर्तन भी करना चाहिए।
देवउठनी एकादशी के दिन निर्जल व्रत रखना चाहिए।
देवउठनी एकादशी के दिन किसी गरीब और गाय को भोजन अवश्य कराना चाहिए।