अगर कहा जाय कि दुनिया का पहला मानचित्र किसने बनाया होगा तो शायद आप सोच में पड़ जाएंगे। जैसा की ऐतिहासिक रूप से कई लोग भारत के पहले मानचित्र के निर्माण के संबंध में दावा कर चुके हैं, लेकिन इस प्रश्न का सटीक उत्तर देना एक कठिन काम है.
मैं पहले तो यहां तीन व्यक्तियों के नामों का उल्लेख कर रहा हूँ जिन्होंने अलग-अलग कालखंड में भारत के मानचित्र का निर्माण किया था.
1. इरेटोस्थनीज
2. टॉलमी
3. विलियम लैम्बटन और जॉर्ज एवरेस्ट
इरेटोस्थनीज: 300 ई. पू. में ग्रीस के शासक सिकन्दर ने ग्रीस के गणितज्ञ इरेटोस्थनीज को पहली बार भारत के मानचित्र को तैयार करने का आदेश दिया था. इरेटोस्थनीज द्वारा तैयार मानचित्र को नीचे दिए गए चित्र की तरह दिखता था.
टॉलमी: इरेटोस्थनीज के बाद टॉलेमी भारत आया, जिसके द्वारा निर्मित मानचित्र इरोटोस्टेनेस से थोड़ा बेहतर है, लेकिन वह भी अजीब दिखाई देता है, जिसे नीचे के चित्र में दिखाया गया है.इसके बाद 18वीं सदी में अंग्रेजों ने भारत पर शासन करना प्रारंभ किया. 1757 में “प्लासी की लड़ाई” में अंग्रेजों ने बंगाल के शासक सिराजुद्दोला को हराया था.
बंगाल पर विजय प्राप्त करने के बाद अंग्रेज वहां के लोगों से कर वसूलना चाहते थे. लेकिन उस समय मानचित्र उपलब्ध नहीं होने के कारण अंग्रेज बंगाल की सीमा क्षेत्र को सही तरीके से नहीं जानते थे. अतः उन्होंने भारत के मानचित्र को तैयार करने का निर्णय लिया.
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इस कार्य के लिए उन्होंने ब्रिटिश सेना में कार्यरत ज्यामिति विशेषज्ञ “जैक विलियम लैंबटन” को नियुक्त किया.
विलियम लैंबटन: विलियम लैंबटन ने भारत के सबसे दक्षिणी क्षेत्र मद्रास से मानचित्र बनाने का कम शुरू किया. उन्होंने इसके लिए “सरल त्रिकोण विधि” का इस्तेमाल किया. लगातार 18 साल तक कार्य करने के बावजूद लैंबटन भारत के नक्शे के एक-तिहाई हिस्से को भी पूरा नहीं कर सके. इसके बाद उन्होंने सेवानिवृत्ति ले ली और उनके स्थान पर जॉर्ज एवरेस्ट को नियुक्त किया गया.
जॉर्ज एवरेस्ट: जॉर्ज एवरेस्ट पूरे भारत का मानचित्र बनाकर उत्तर में हिमालय के क्षेत्र में पहुंचे. चूंकि हिमालय का विस्तार नेपाल और तिब्बत में भी हैं, लेकिन नेपाल ने अंग्रेजों को अपने देश में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी थी, क्योंकि उन्हें आशंका थी कि अंग्रेज भारत की तरह उनके देश को भी अपना गुलाम बना लेंगे. अतः जॉर्ज एवरेस्ट ने त्रिकोणमिति के सरल तकनीकों का उपयोग करके एवरेस्ट की ऊंचाई को मापा.
जॉर्ज एवरेस्ट द्वारा की गई माप लगभग 99.75% सटीक था. यही कारण है कि दुनिया के सर्वोच्च शिखर का नाम जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर माउंट एवरेस्ट रखा गया.अतः हम कह सकते हैं कि विलियम लैंबटन और जॉर्ज एवरेस्ट ने भारत का पहला सटीक मानचित्र बनाया था.
लेकिन जब बात हो पहले मानचित्र की, तब कहना उचित होगा कि इन सब से भी पहले पृथ्वी का पहला भौगोलिक मानचित्र महाभारत के रचियता महर्षि वेदव्यास द्वारा बनाया गया था. महाभारत में पृथ्वी का पूरा मानचित्र हजारों वर्ष पूर्व ही दे दिया गया था. महाभारत में कहा गया है कि यह पृथ्वी चन्द्रमंडल में देखने पर दो अंशों मे खरगोश तथा अन्य दो अंशों में पीपल के पत्तों के रूप में दिखायी देती है.
पृथ्वी का पहला मानचित्र किसने बनाया, इस पर आज भी अलग-अलग दावे हैं। लेकिन अभी तक कोई भी देश अपना दावा सिद्ध नहीं कर पाया। आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे महापुरुषों ने हजारों साल पहले ही अपने ग्रंथों में ये बता दिया था कि आकाश से देखने पर पृथ्वी कैसी दिखाई देती है।
महाभारत में जब महर्षि वेदव्यास धृतराष्ट्र के सारथी संजय को दिव्य दृष्टि प्रदान करते हैं, तब धृतराष्ट्र के कहने पर संजय उन्हें संपूर्ण ब्रह्मांड के बारे में बताते हैं। पृथ्वी के बारे में संजय कहते हैं कि-यथा हि पुरुषः पश्येदादर्शे मुखमात्मनः।एवं सुदर्शनद्वीपो दृश्यते चन्द्रमण्डले॥द्विरंशे पिप्पलस्तत्र द्विरंशे च शशो महान्।।-(भीष्म पर्व, महाभारत)
अर्थ- जैसे पुरुष दर्पण में अपना मुख देखता है, उसी प्रकार यह द्वीप (पृथ्वी) चन्द्रमण्डल में दिखाई देता है। इसके दो अंशों में पिप्पल (पीपल के पत्ते) और दो अंशों में महान शश (खरगोश) दिखाई देता है।
संत रामानुजाचार्य ने 11 वी शताब्दी में महाभारत के श्लोक के आधार पर पृथ्वी का मानचित्र बनाया जो इस प्रकार था।(चित्र संलग्न)
महाभारत के श्लोक के आधार पर जब इस मानचित्र को उल्टा किया गया तो वह इस प्रकार नज़र आया।(चित्र संलग्न)रामनुजाचार्यजी द्वारा बनाया गया पृथ्वी का मानचित्र ग्लोब पर लगाने पर लगाने पर इस तरह दिखा।(चित्र संलग्न)
नीचे पृथ्वी का वास्तविक मानचित्र भी दिया है। इसमें और रामनुजाचार्यजी द्वारा बनाए गए मानचित्र में काफी समानताएं नज़र आती है। ऐसा था प्राचीन भारत का अद्भुत ज्ञान एवं कौशल।
(प्रस्तुत पोस्ट हेतु एक से अधिक श्रोतों का यथास्थान उपयोग किया गया है।)-
– निखिलेश मिश्रा